आईडीबीआई बैंक के हजारों ग्राहकों को बड़ी राहत, बैंक पर लगे प्रतिबंध 4 साल बाद हटे
सरकारी से प्राइवेट में तब्दील आईडीबीआई बैंक के खाताधारकों के लिए अच्छी खबर है। पिछले चार साल से रिजर्व बैंक की निगरानी और सीमित प्रतिबंधों से बैंक आजाद हो गया है। आरबीआई ने बैंक की अच्छी माली हालत को...
सरकारी से प्राइवेट में तब्दील आईडीबीआई बैंक के खाताधारकों के लिए अच्छी खबर है। पिछले चार साल से रिजर्व बैंक की निगरानी और सीमित प्रतिबंधों से बैंक आजाद हो गया है। आरबीआई ने बैंक की अच्छी माली हालत को देखते हुए यह कदम उठाए हैं।
आरबीआई ने आईडीबीआई बैंक को प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन यानी पीसीए की सूची से बाहर कर दिया है। वित्तीय स्थिति खराब होने के कारण 2017 में बैंक को पीसीए श्रेणी में रख दिया गया था। इसकी वजह बैंक का एनपीए 13.5 फीसदी से ज्यादा होना और लोन रिकवरी का खराब प्रबंधन था।
फरवरी के अंत में आरबीआई ने आईडीबीआई की दोबारा समीक्षा की और पाया कि बैंक ने अपनी हालत में काफी सुधार किया है। लोन, एडवांस सहित तमाम मानकों पर पटरी पर लौट आया। प्रतिबंध हटने के बाद 36 हजार खाताधारक आसानी से बैंकिंग कर सकेंगे। कानपुर में आईडीबीआई की चार शाखाएं हैं।
क्या होता है पीसीए
आरबीआई बैंकों को लाइसेंस देता है, नियम बनाता है और बैंक ठीक से काम करें इसकी निगरानी करता है। बैंक कारोबार करते हुए कई बार वित्तीय संकट में फंस जाते हैं। इनको संकट से उबारने को रिजर्व बैंक समय-समय पर दिशानिर्देश जारी करता और फ्रेमवर्क बनाता है। ‘प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन’ (पीसीए) इसी तरह का फ्रेमवर्क है, जो किसी बैंक की वित्तीय सेहत का पैमाना तय करता है। आरबीआई को जब लगता है कि किसी बैंक के पास पर्याप्त पूंजी नहीं है, उधार दिए धन से आय नहीं हो रही और मुनाफा नहीं हो रहा है तो उस बैंक को ‘पीसीए’ में डाल देता है, ताकि उसकी वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए तत्काल कदम उठाए जा सकें।