रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले अयोध्या में बड़ी तैयारी, दिसम्बर से ही राममय हो जाएगी रामनगरी
श्रद्धालुओं को कम से कम दूरी तय करनी पड़े, इसके लिए यह भी योजना बनाई है कि इन मध्यम वर्गीय लोगों के लिए श्रीरामजन्म परिसर के दो किलोमीटर की त्रिज्या खाली मैदानों को चिन्हित किया गया है।
Ayodhya: श्रीरामजन्म भूमि में निर्माणाधीन दिव्य मंदिर में विराजित होने वाले रामलला की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की व्यापक तैयारियां अलग-अलग मोर्चों पर शुरू हो चुकी हैं। प्रदेश सरकार और संघ परिवार के साथ समन्वय कर श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र चिकित्सा-स्वास्थ्य और सुरक्षा से लेकर भोजन-आवास और आवागमन की सुविधाओं समेत हर पहलुओं पर योजना तैयार की जा रही है। इसी कड़ी में अयोध्या सहित पूरे देश में वातावरण को राम मय बनाने की भी योजना है। अयोध्या में दिसम्बर से ही राम मय वातावरण बनाने के लिए अलग-अलग विभिन्न आयोजनों की तैयारियां भी शुरू कर दी गई है।
श्रद्धालुओं के भोजन और आवास की योजना बनी
श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र का मानना है कि प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में आने वाले श्रद्धालुओं का अनुमान लगाना कठिन है। फिर भी यहां आने वाले श्रद्धालुओं की चार अलग-अलग श्रेणियां बनाई गयी है। तीर्थ क्षेत्र ने चारों श्रेणियों से इतर मध्यम वर्ग के श्रद्धालुओं के भोजन एवं आवास के प्रबंध की योजना बनाई है। इन सभी श्रद्धालुओं को कम से कम दूरी तय करनी पड़े, इसके लिए यह भी योजना बनाई है कि इन मध्यम वर्गीय लोगों के लिए श्रीरामजन्म परिसर के दो किलोमीटर की त्रिज्या खाली मैदानों को चिन्हित किया गया है और सम्बन्धित भू- स्वामियों से सहमति भी ले ली गयी है। इन खाली मैदानों में 15 जनवरी से 15 फरवरी तक के लिए टेंट सिटी बनाने का निर्णय लिया है जिसमें निवास व शौचालय की व्यवस्थाएं भी की जाएंगी। इसके अलावा ऐसे खुले मैदान भी चिन्हित किए गए हैं जहां पांच हजार लोगों के भोजन की व्यवस्था होगी लोगों को वुफे सिस्टम से भोजन प्राप्त होगा।
श्रद्धालुओं को असुविधा न होने की बनेगी रणनीति
तीर्थ क्षेत्र ने प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में आने वाले श्रद्धालुओं को लेकर एक अपील करने के साथ ऐसी रणनीति भी बनाने की तैयारी शुरू की है जिससे देश के विभिन्न राज्यों के श्रद्धालु तिथि वार अयोध्या दर्शन के लिए आ सकें और उन्हें असुविधा का सामना न करना पड़े। यह भी योजना बनी है कि विभिन्न प्रदेशों से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए दुभाषिया कार्यकर्ताओं को भी आमंत्रित किया जाए जिससे श्रद्धालुओं को भाषा की दिक्कतों न हो। तीर्थ क्षेत्र की ओर से यह समन्वय बनाने का भी प्रयास किया गया है कि अलग-अलग कार्यों का विभाजन हो जाए। प्रशासनिक व्यवस्था में सेवा प्रदाता एजेसी तय की जाए जिसे सेवा के बदले तीर्थ क्षेत्र भुगतान कर सके।
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