BHU पोस्टर विवादः उर्दू विभाग के अध्यक्ष बोले-पाकिस्तानी नहीं हैं अल्लमा इकबाल, उन्हें कहां-कहां से निकालेंगे
बीएचयू में वेबिनार के लिए बने पोस्टर पर हुए विवाद के बाद उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रो. आफताब अहमद आफाकी ने बुधवार को कहा कि अल्लमा इकबाल को कहां-कहां से निकालेंगे। इकबाल पर विवाद नहीं होना चाहिए। वह...

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बीएचयू में वेबिनार के लिए बने पोस्टर पर हुए विवाद के बाद उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रो. आफताब अहमद आफाकी ने बुधवार को कहा कि अल्लमा इकबाल को कहां-कहां से निकालेंगे। इकबाल पर विवाद नहीं होना चाहिए। वह पैदा भारत में हुए और भारत विभाजन से करीब दस साल पहले उनकी मृत्यु हो गई। 1938 में लाहौर में उन्होंने अंतिम सांस ली थी। उन्हें पाकिस्तानी की संज्ञा देना मेरी समझ से परे है। उन्हीं के जन्मदिन को उर्दू दिवस के रूप में मनाया जाता है।
प्रोफेसर आफाकी ने कहा कि अल्लामा इकबाल को पाकिस्तानी कह कर हम कहां कहां से उन्हें निकालेंगे। सारे जहां से अच्छा देशभक्ति गीत रचने वाले अल्लमा इकबाल ही हैं। हम इकबाल को सिलेबस में पढ़ाते हैं। हिंदी में उर्दू साहित्य के इतिहास में इकबाल पर अध्याय हैं। मध्य प्रदेश सरकार हर साल साहित्य के क्षेत्र में बड़ा योगदान देने वाले साहित्यकारों को अल्लामा इकबाल सम्मान देती है। भोपाल में इकबाल स्पोर्ट्स एकेडमी है।
एक प्रश्न के उत्तर में उर्दू विभागाध्यक्ष ने कहा कि शैक्षणिक संसार के लोगों को हमेशा खुले मन-मष्तिष्क से विचार करना चाहिए। यह सोच हर्गिज नहीं होनी चाहिए कि संत कवि सूरदास, महाकवि कालिदास और संत तुलसी दास सिर्फ हिंदुओं के हैं और कबीर, अमीर खुसरो, रहीम, गालिब मुसलमानों के। मैंने जितने भी नाम लिए हैं हर नाम पर हर हिंन्दुस्तानी का समान रूप से अधिकार है।
सही कम्युनिकेशन के अभाव में हुई छात्रों से भूल
प्रो. अहमद ने माना कि सूचनाओं के सही कम्युनिकेशन के अभाव में ई-पोस्टर तैयार करने वाले छात्रों ने भूलवश अल्लामा इकबाल की फोटो लगा दी थी। यह त्रुटि संज्ञान में आते ही इसे सुधार लिया गया था। परंपरानुसार महामना की फोटो को स्थान दिया गया। यह कार्यक्रम यदि ऑफलाइन मोड में होता तो इस प्रकार की गड़बड़ी सार्वजनिक होने से पहले ही सुधार ली गई होती। उन्होंने कहा कि मैं बीएचयू का मुलाजिम हूं और बीएचयू के मानकों के अनुरूप ही कार्य करुंगा। जांच कमेटी के समक्ष भी मैं अपना पक्ष रखने के लिए तैयार हूं। भूलवश हुए कृत्य के लिए क्षमा भी मांग रहा हूं।
क्या है पूरा मामला
हर साल अल्लामा इकबाल की जयंती पर 9 नवंबर को उर्दू दिवस मनाया जाता है। इस साल भी बीएचयू के उर्दू विभाग में वेबिनार का आयोजन किया गया था। वेबिनार के लिए जो ई पोस्टर बनाया गया था उसमें बीएचयू के संस्थापक भारत रत्न मदन मोहन मालवीय की जगह अल्लमा इकबाल की तस्वीर लगा दी गई थी। मंगलवार को पोस्टर पर एबीवीपी की नजर पड़ी तो विरोध शुरू हुआ। विरोध के बाद पोस्टर बदल दिया गया। कला संकाय के डीन ने इसे लेकर माफी भी मांगी और जांच के लिए कमेटी बना दी गई।
