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Hindi News उत्तर प्रदेश‘काजल की कोठरी’ से कोई भी बेदाग न निकला, यहां हर साल करोड़ों रुपये के वारे-न्यारे 

‘काजल की कोठरी’ से कोई भी बेदाग न निकला, यहां हर साल करोड़ों रुपये के वारे-न्यारे 

डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय ऐसी ‘काजल की कोठरी’ है, जिससे शायद कोई बेदाग निकला हो। कमीशन के खेल का हाल यह है कि ऑडिट के नाम से विवि के जिम्मेदारों को पसीने आ जाते हैं। 

‘काजल की कोठरी’ से कोई भी बेदाग न निकला, यहां हर साल करोड़ों रुपये के वारे-न्यारे 
Deep Pandeyअनुज शर्मा,आगराTue, 01 Nov 2022 06:45 AM
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डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय ऐसी ‘काजल की कोठरी’ है, जिससे आज तक शायद ही कोई बेदाग निकला हो। गोपनीयता के नाम पर यहां हर साल करोड़ों रुपये के वारे-न्यारे हो रहे हैं। कमीशन के खेल का हाल यह है कि ऑडिट के नाम से विवि के जिम्मेदारों को पसीने आ जाते हैं। विवि सालों ऑडिट से बचता रहा है। इस बीच खरीद-फरोख्त से लेकर निर्माण और एजेंसियों के नाम पर करोड़ों का खेल होता रहता है।

अभी तक खरीद-फरोख्त के नाम पर कमीशनखोरी के मामले में संस्थाओं की साख गिर रही थी, मगर विवि ने तो नए सत्र में होने वाले कामों के लिए एडवांस कमीशन मांगकर इतिहास ही रख दिया है। पूर्व कार्यवाहक कुलपति विनय पाठक पर कमीशनखोरी का आरोप लगाते हुए दर्ज एफआईआर में कहा गया है कि उन्होंने परीक्षा सत्र 2022-23 से संबंधित कार्य का अनुबंध जारी रखने के लिये एडवांस कमीशन की मांग रखी। तब वादी डेविड की ओर से कहा गया कि विवि में नयी कुलपति आ गई हैं।

जैसा कहेंगी, उसी के अनुसार करूंगा। इस पर तत्कालीन कुलपति प्रो. विनय पाठक ने धमकी देते हुये कहा कि 10 लाख रुपये दोगे तभी तुम्हारी कंपनी का अनुबंध जारी रहेगा, नहीं तो अजय मिश्रा की कंपनी का वर्क आर्डर करवा दूंगा। खास बात यह है कि सत्र 2022-23 का काम अजय मिश्रा की कंपनी एक्सएलआईसीटी को मिल गया। डेविड के आरोप और विवि में एक्सएलआईसीटी को मिले काम ने पूरे सिस्टम की कलई खोल दी है। 

बीएएमएस कांड के बाद एसटीएफ की दस्तक
डॉक्टर भीमराव आंबेडकर विवि प्रदेश ही नही शायद देश में एकमात्र ऐेसा विवि है जहां एसटीएफ ने अपना अस्थायी कार्यालय बनाने के लिए भवन मांगा था। पिछले कई दिनों से एसटीएफ विवि में कई बार दस्तक दे चुकी है। 27 अगस्त को बीएएमएस परीक्षा में कापियां बदलने का मामला नाटकीय अंदाज में पकड़ा गया था। विवि में उस समय कुलपति विनय पाठक थे। पुलिस को उनके द्वारा ही सूचना दी गई थी। इस कांड को पकड़वाने के पीछे एजेंसी को घेरने की मंशा थी। घटना की धमकी लखनऊ तक पहुंची थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की जांच एसटीएफ को दी थी।

एसटीएफ ने प्रारंभिक जांच में इस बात की संभावना जताई थी की एमबीबीएस, बीडीएस, बीएससी नर्सिंग, बीफार्म सहित कई परीक्षाओं में कापियां बदलने का खेल चल रहा है। एमबीबीएस में कापियां बदलने का खेल पकड़ा भी गया था। इस संबंध में तीन मुकदमे दर्ज हैं। पुलिस और एसटीएफ दोनों जांच कर रही हैं। एसटीएफ आगरा यूनिट ने इसी घटनाक्रम के बाद विवि में भ्रष्टाचार की जांच शुरू की थी। उस समय कापी कांड पकड़वाने वालों को भी नहीं पता था कि जांच पिछले पांच साल में हुए घोटालों की शुरू हो जाएगी।

एजेंसियों के भुगतान में बड़े-बड़ों ने किए हाथ साफ 
विवि और एजेंसियों के बीच लड़ाई पहली बार नहीं है। एजेंसियों से काम कराने के बाद भुगतान रोकने और फिर डाटा के खेल में बड़े-बड़े खिलाड़ी शामिल हैं। विवि में एजेंसी के लाखों रुपये के भुगतान पर भी खेल हुआ था। इसमें अधिकारी और जिम्मेदारों के नाम सामने आए थे। एजेंसी को डाटा देने के बदले भुगतान किया गया था। इसके बाद भी विवि डाटा के फेर में फंसा हुआ है।

कॉलेजों को संबद्धता देने में किया जमकर खेल
विवि ने कॉलेजों को अस्थायी से स्थायी संबद्धता देने के साथ नयी संबद्धता में जमकर खेल किया। विवि ने जहां अपने दायरे में 2015 के निरीक्षण के आधार पर 2022 में संबद्धता दे दी। वहीं राजा महेन्द्र प्रताप सिंह विवि के परिक्षेत्र में जाकर भी कॉलेजों को संबद्धता दे डाली। एसटीएफ के साथ-साथ शासन स्तर से भी संबद्धता में हुए खेल की जांच की जा रही है। सूत्रों की मानें तो इसमें भी करोड़ों रुपये का खेल किया गया था।
 
परीक्षा की शुचिता के नाम पर लाखों खर्च
डॉ. भीमराव आंबेडकर विवि में पेपर आउट होने के बाद आननफानन में शुचिता के नाम पर लाखों रुपये रुपये खर्च कर दिए गए। हाइटेक लॉक लगाने में नाम पर लाखों रुपये का भुगतान कर दिया। इस पर भी खूब खींचतान हुई थी। विवि के एक शिक्षक ने बिना प्रक्रिया के हुए काम के लिए किए जा रहे भुगतान पर साइन करने से इंकार कर दिया था। इसके बाद गुरुजी पर जिम्मेदारों की नजरें टेढ़ी हो गयी थीं।

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