Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Beggars will be removed from the streets of Kashi becoming a smart city a proposal prepared for rehabilitation

स्मार्ट सिटी बन रही काशी की सड़कों से हटेंगे भिखारी, पुनर्वास के लिए तैयार हुआ प्रस्ताव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की काशी तेजी से स्मार्ट सिटी बनने की ओर अग्रसर है। घाट से लेकर सड़कों, पार्कों, चौराहों, मंदिरों के आसपास तेजी से सुंदरीकरण हो रहा है। काशी के हृदय स्थल गोदौलिया-दशाश्वमेध...

Yogesh Yadav वाराणसी लाइव हिन्दुस्तान, Wed, 20 Jan 2021 03:19 PM
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स्मार्ट सिटी बन रही काशी की सड़कों से हटेंगे भिखारी, पुनर्वास के लिए तैयार हुआ प्रस्ताव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की काशी तेजी से स्मार्ट सिटी बनने की ओर अग्रसर है। घाट से लेकर सड़कों, पार्कों, चौराहों, मंदिरों के आसपास तेजी से सुंदरीकरण हो रहा है। काशी के हृदय स्थल गोदौलिया-दशाश्वमेध की तो सूरत ही बदल दी गई है। काशी विश्वनाथ मंदिर को कॉरिडोर के जरिये भव्यता दी जा रही है। इससे पर्यटकों और श्रद्धालुओं की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।

लॉकडाउन खुलने के बाद पिछले कुछ महीनों में उम्मीद से ज्यादा पर्यटक काशी पहुंचे हैं। इन पर्यटकों की आरामदेह यात्रा में जगह-जगह पर मौजूद भीख मांगने वाले लोग परेशानी का सबब बनते हैं। कई बार तो भिखारियों से पीछा छुड़ाने में पयर्टकों के पसीने छूट जाते हैं। भिखारियों के कारण ही वाराणसी का स्वरूप भी देश-विदेश में खराब होता है। कई बार भीख मांगने वाले गाली गलौज और अमिशाप देने पर उतर आते हैं। ऐसे में हर पर्यटक चाहता है कि उनका सामना भिखारियों से न हो। 

इन्हीं परेशानियों को दूर करने का अब रास्ता निकाला जा रहा है। बेघरों और अनाथों के लिए काम करने वाली वाराणसी की संस्था 'अपना घर आश्रम' ने इसके लिए एक प्रस्ताव तैयार किया है। इस प्रस्ताव का प्रजेंटेशन कमिश्नर और आला अधिकारियों की मौजूदगी में 25 जनवरी को होने जा रहा है। इस बैठक के लिए कमिश्नर ने 18 विभागों के अधिकारियों को बुलाया है। पुलिस, प्रशासन के साथ ही प्रोबेशन अधिकारी भी बैठक में मौजूद रहेंगे। सबकुछ ठीक रहा तो भिखारियों को अपना घर आश्रय स्थल पर शिफ्ट किया जाएगा। वहां इनके रहने, खाने और पुनर्वास की व्यवस्था होगी। कुछ सरकारी आश्रयस्थल भी इसके लिए चिह्नित हो सकते हैं।

अपना घर संचालक डाक्टर निरंजन का मानना है कि भीख मांगने वाले ज्यादातर लोग आलसी प्रवृत्ति के होते हैं। यह लोग कोई काम नहीं करना चाहते। काशी में बड़ी संख्या में तीर्थयात्री आते हैं। ऐसे में इन्हें आसानी से भीख भी मिल जाती है। यह भी देखा गया है कि अक्सर भिखारियों का एक ग्रुप हेड भी होता है। जो इनसे पैसे वसूलता है। इन्हें शरण देता है। यह भी देखा गया है कि प्रसिद्ध मंदिरों और विशेष त्योहारों के दौरान भीख मांगने के लिए इन भिखारियों को गाड़ियों में भरकर पहुंचाया जाता है। ज्यादातर भीख मांगने वाले नशे की प्रवृत्ति वाले भी होते हैं। बच्चों और महिलाओं का दुरुपयोग भी देखा गया है। 

डाक्टर निरंजन का कहना है कि अभी तक भिखारियों की समस्या का समाधान नहीं होने के पीछे बड़ा कारण इनके लिए उचित आश्रय गृह का नहीं होना और सरकारी उदासीनता है। दान देने की लोगों की मानसिकता भी भिखारियों की बड़ी संख्या के पीछे कारण है। सुप्रीम कोर्ट भी भीक्षाटन को अवैध एवं दंडनीय अपराध बता चुका है। इसके बाद भी भिक्षाटन पर रोक नहीं लग पा रही है। 

यह है प्रस्ताव
अपना घर आश्रम ने जो प्रस्ताव तैयार किया है उसके अनुसार तीन प्लान पर काम होना है। पहला भिखारियों को मिलने वाली भीक्षा को रोकना है। दूसरा पुलिस कार्रवाई के जरिये जबरिया इन्हें आश्रय स्थल भेजना और तीसरा इनके पुनर्वास की व्यवस्था करना है। भिखारियों को मिलने वाले भिक्षा को रोकने के लिए टीमें बनाकर बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाया जाना है। इसके लिए भीख देने वालों से भी संपर्क करना है। उन्हें बताना है कि भिखारियों को नकद पैसे न दिये जाएं। दान करना ही है तो पैसे की जगह पका हुआ भोजन दिया जाए। सरकार से भी इस बात की अपेक्षा की गई है कि पर्यटक स्थलों पर इस संबंध में सूचनाएं लिखी जाएं। भिखारियों को पैसे नहीं देने जैसे पंपलेट और फ्लेक्स आदि लगवाए जाएं। वाराणसी वेबसाइट पर ऐसी ही सूचनाएं हों। गंगा आरती, सारनाथ, गंगा घाटों आदि पर इस बारे में लगातार ध्वनि विस्तारक यंत्रों से प्रसारण भी होता रहे। 

बेघरों को परिवार से मिलाने का काम कर रहा अपना घर आश्रम
अपनाघर आश्रम पहले से ही सड़क किनारे, बस अड्डों और रेलवे स्टेशन पर अनाथ घूमने और किसी तरह जीवन बसर करने वालों के लिए काम कर रहा है। इन्हें आश्रम में रखकर भोजन से लेकर दवाइयां तक उपलब्ध कराने के साथ ही परिवार से भी मिलाने का काम किया जाता है। अब तक अनाथों की तरह जी रहे तीन सौ से ज्यादा लोगों को उनके परिवारों से मिलवाया जा चुका है।

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