आपने उस सती की कहानी सुनी ही होगी, जिसमें सती अपने पति के प्राण यमराज से वापस ले आती है। बागपत में एक पत्नी अपने पति के प्राण तो वापस न ला सकी, लेकिन अपने पति के साथ ही स्वर्ग जरूर सिधार गई। गांव में एक साथ निकली दोनों की अंतिम यात्रा को देख लोगों की आंखें भर आईं। लोगों ने इसे अटूट प्रेम और सात जन्मों के बंधन की संज्ञा दी।
खेकड़ा क्षेत्र के फखरपुर गांव में 50 वर्षीय किसान जयवीर सिंह परिवार के साथ रहता था। वह पूरी तरह स्वस्थ था। गुरुवार तड़के चार बजे उसे दिल का दौरा पड़ा। परिजन तुरंत ही चिकित्सक को बुलाने के लिए दौड़े, लेकिन जयवीर ने प्राण त्याग दिए। बताया जाता है कि कुछ देर तक उनकी पत्नी नरेश देवी पति के शव को निहारती रही और फिर शव से लिपट कर विलाप करने लगी।
विलाप करते-करते कुछ पल बाद नरेश देवी ने भी प्राण त्याग दिए। कुछ ही मिनटों में हुईं पति-पत्नी की मौत से परिजनों में कोहराम मच गया। गांव में भी शोक छा गया। श्मशान घाट में दोनों की चिताएं पास-पास लगाई गई और उनमें अग्नि प्रज्वलित भी एक साथ की गई। अंतिम संस्कार में सैकड़ों ग्रामीण शामिल रहे।