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कॉरपोरेट की तरह संचालित होता बाबा करौली का आश्रम, बैंकों की तरह बने काउंटर, सीसीटीवी कैमरे में पाई-पाई का हिसाब

विवादों में घिरे करौली सरकार उर्फ बाबा संतोष भदौरिया का आश्रम कॉरपोरेट दफ्तर की तरह संचालित होता है। सारा कामकाज पूरी तरह व्यवस्थित और आधुनिक है।

कॉरपोरेट की तरह संचालित होता बाबा करौली का आश्रम, बैंकों की तरह बने काउंटर, सीसीटीवी कैमरे में पाई-पाई का हिसाब
Deep Pandeyसंजय पाण्डेय,कानपुरSat, 25 Mar 2023 06:40 AM
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करौली सरकार उर्फ बाबा संतोष भदौरिया का आश्रम कॉरपोरेट दफ्तर की तरह संचालित होता है। सारा कामकाज पूरी तरह व्यवस्थित और आधुनिक है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां की सुरक्षा के साथ ही कैश मैनेजमेंट, सोशल मीडिया ग्रुप, लाइजनिंग और यहां तक कि कंट्रोल रूम के भी एचओडी नियुक्त हैं। परिसर में बाकी सभी कारिंदे हैं, सारी व्यवस्थाओं का रिमोट बाबा के हाथों में है।

पैसे की फंडिंग से लेकर बैंकों तक जमा कराने का सिस्टम अलग है। जो रकम यहां आती है उसे गिनने के लिए अलग टीम है। यह 24 घंटे सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में है। हर एंगिल पर रकम पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। कैमरों से एक टीम इसकी अलग निगरानी करती है। बैंकों की तरह हर सेवा और सुविधा के लिए अलग-अलग काउंटर बने हैं जिसके बाहर जाली लगी है।

भीतर की टीम ऐसे रचती है व्यूह रचना
खास बात यह है कि आगंतुकों के लिए बाहर रिसीव करके उनका रजिस्ट्रेशन कराने और भीतर तक पहुंचाने की टीम अलग है और भीतर की अलग। दोनों के अलग-अलग काम भी हैं। भीतर वालों का दायित्व है कि वह आगंतुकों को ऐसा माहौल दिखाएं जिससे वह आत्मविभोर हो जाएं और बाबा के भक्त बन जाएं। इसके लिए वह उन लोगों से मिलवाते हैं जो यह बताएं कि बाबा की शरण में आने से वह ठीक हो गए। इस तरह उन्हें लगने लगता है कि यही एकमात्र स्थान हैं जहां से वह ठीक होकर जा सकते हैं। भक्तिमय माहौल और संकल्प लेते लोगों को देखकर वह और आह्लादित हो जाते हैं। कुछ ही देर में वह पूरी तरह बाबा के प्रभाव में आ जाते हैं।

कंप्यूटर में कैद हर आगंतुक की कुंडली
खास बात यह है कि आश्रम में आने वाले हर शख्स की कुंडली (हिस्ट्री) बाबा के कंप्यूटर में कैद है। कई दिनों से कोई नहीं आया तो बकायदा फोन करके पूछ लिया जाता है कि कैसी तबीयत है। आ जाओ और बेहतर हो सकती है। जिन लोगों का रजिस्ट्रेशन होता है उन सभी के नाम सूची, शहर और पीड़ा समेत बाबा तक पहुंचाए जाते हैं। कांच के जार जैसे चैंबर से बाबा संतोष उनके नाम बुलाते हैं। पूरा सिस्टम ऐसे अपडेट है कि टीम से कोई गलती हो ही नहीं सकती। पूरी टीम बाबा के इशारे भी समझती है। पीड़ा बताने वाला दूसरी माइक पर चैंबर के सामने रहता है। 

बाबा की ब्रांडिंग के लिए सशक्त टीम
सोशल मीडिया पर बाबा के चमत्कार दिखाने के लिए सबसे सशक्त टीम रखी गई है। यह सबसे ज्यादा यू ट्यूब पर ऐसे केस को अपलोड करके वायरल करती है जिसमें किसी को ठीक करने का दावा किया गया होता है। इसी तरह फेसबुक, इंस्टाग्राम और पोर्टल के साथ बाबा के पेज पर भी रोजाना आठ से दस पीड़ाहरण के दावे वाले मामले डाले जाते हैं। टीम में ऐसे लोग रखे गए जिनके खुद के फॉलोवरों की संख्या हजारों में है। इस टीम का सबसे ज्यादा जोर मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ ही दिल्ली में बाबा की ब्रांडिंग का है। दूसरी ओर बाबा कहते हैं-वह कोई चमत्कार नहीं करते। जो आते हैं उनके साथ चमत्कार हो जाता है।

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