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फतवा:बैंक कर्मियों के घरों में रिश्ता करने से करें परहेज, तंग बुरके भी ना पहने

देश के प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने अपने अलग-अलग फतवों में बैंक की नौकरी से चलने वाले घरों से शादी का रिश्ता जोड़ने से परहेज करने और शरीर के अंगों को जाहिर करने वाले तंग बुरके...

फतवा:बैंक कर्मियों के घरों में रिश्ता करने से करें परहेज, तंग बुरके भी ना पहने
एजेंसी,लखनऊFri, 05 Jan 2018 08:43 AM
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देश के प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने अपने अलग-अलग फतवों में बैंक की नौकरी से चलने वाले घरों से शादी का रिश्ता जोड़ने से परहेज करने और शरीर के अंगों को जाहिर करने वाले तंग बुरके नहीं पहनने को कहा है।

दारुल उलूम के फतवा विभाग 'दारुल इफ्ता' ने बैंक की नौकरी करने वाले व्यक्ति के घर में शादी का रिश्ता करने के इस्लामी नुक्ते-नजर से दुरुस्त होने के बारे में पूछे गए सवाल पर कल फतवा दिया। एक शख्स ने पूछा था कि, "उसकी शादी के लिये कुछ ऐसे घरों से रिश्ते आए हैं, जहां लड़की के पिता बैंक में नौकरी करते हैं। चूंकि बैंकिंग तंत्र पूरी तरह से सूद (ब्याज) पर आधारित है, जो कि इस्लाम में हराम है। इस स्थिति में क्या ऐसे घर में शादी करना इस्लामी नजरिये से दुरुस्त होगा?"

इस पर दिए गए फतवे में कहा गया कि, ''ऐसे परिवार में शादी से परहेज किया जाए। हराम दौलत से पले-बढ़े लोग आमतौर पर सहज प्रवृत्ति और नैतिक रूप से अच्छे नहीं होते। लिहाजा, ऐसे घरों में रिश्ते से परहेज करना चाहिए। बेहतर है कि किसी पवित्र परिवार में रिश्ता ढूंढा जाए।"

दारुल इफ्ता ने एक अन्य फतवे में कहा है कि मुस्लिम महिलाओं को अंगों को जाहिर करने वाले डिजाइनर बुरके पहनना सख्त गुनाह है, क्योंकि इससे वे बुरी नजर का शिकार होती हैं। फतवे में कहा गया है कि हिजाब के नाम पर डिजाइनर और स्लिम फिट बुरका पहनना हराम है और इस्लाम में इसकी सख्त मनाही है। बुरका ढकने के लिये है, ना कि उसे जाहिर करने के लिये।

इस्लामी कानून या शरीयत में ब्याज वसूली के लिये रकम देना और लेना शुरू से ही हराम माना जाता रहा है। इसके अलावा इस्लामी सिद्धांतों के मुताबिक हराम समझे जाने वाले कारोबारों में निवेश को भी गलत माना जाता है। इस्लाम के मुताबिक धन का अपना कोई स्वाभाविक मूल्य नहीं होता, इसलिये उसे लाभ के लिये रहन पर दिया या लिया नहीं जा सकता। इसका केवल शरीयत के हिसाब से ही इस्तेमाल किया जा सकता है। दुनिया के कुछ देशों में इस्लामी बैंक ब्याजमुक्त बैंकिंग के सिद्धांतों पर काम करते हैं।

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