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भूख से बेबस दो हजार में बेची अंगूठी और एक हजार में बर्तन, पहुंचा घर तो छलक पड़े आंसू 

मुंबई से घर पहुंचे चार लोगों की दास्ता दिल को दहला देने वाली है। भूख से बेबस लोगों ने दो हजार मेंअंगूठी और एक हजार में हजारों रुपये के वर्तन बेच कर घर के लिए निकल पड़े थे। आटो रिक्शा  से चल कर...

भूख से बेबस दो हजार में बेची अंगूठी और एक हजार में बर्तन, पहुंचा घर तो छलक पड़े आंसू 
मेंहनगर। हिन्दुस्तान संवादSun, 17 May 2020 09:48 AM
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मुंबई से घर पहुंचे चार लोगों की दास्ता दिल को दहला देने वाली है। भूख से बेबस लोगों ने दो हजार मेंअंगूठी और एक हजार में हजारों रुपये के वर्तन बेच कर घर के लिए निकल पड़े थे। आटो रिक्शा  से चल कर चार दिन में शुक्रवार की शाम मेंहनगर पहुंचे। मेडिकल परीक्षण के बाद घर आए। परिवार में अपने दर्द को वया किया तो लोगों की आंखे छलक पड़ी।
मेंहनगर तहसील के कुसमुलिया गांव निवासी 42 वर्षीय रामहित यादव पुत्र फिरती के घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण 20 साल पूर्व रोजगार की तलाश में मुंबई गया था। वहां काम न मिलने पर आटो रिक्शा चालने लगा। कुछ दिन बाद अपना निजी आटो रिक्शा खरीद लिया। गांव के सुधीर यादव, कमलेश मौर्य व रविन्द्र कुमार के साथ कांदीवाली में एक कमरे मेंे रहता था। कोरोना महामारी के चलते  लॉकडाउन ने इन सबकी मुसीबत बढ़ा दी। जो कमा कर रखा था 50 दिन के लॉकडाउन में समाप्त हो गया। पैसे के अभाव में फाका होने लगा। एक रात भूखों सोए । चारों लोगों ने फैसला किया कि यहां रहेंगे तो भूख से मर जाएंगे । सभी ने घर जाने का निश्चय किया। अगले दिन घर जाने के लिए पैसे जुटाने में लग गए। सुधीर ने अपनी अंगूठी को दो हजार में बेच दिया। रविन्द्र कुमार ने हजारों रुपए मूल्य के बर्तन का एक हजार में सौदा कर दिया। कमलेश मौर्य अपने किसी रिश्तेदार से कुछ रुपये कर्ज लिया। इसके बाद सभी लोग  रामहित के आटो रिक्शा से घर के लिए निकल पड़े। भूखे प्यासे चलते रहे। आटो के लिए पेट्रोल की भी व्यवस्था साथ लेकर चल रहे थे। कुछ समय आराम करने के बाद ये लोग अनवरत चल कर चार दिन में गांव पहुंचे।

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