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महराजगंज समेत यूपी के पांच जिलों में लैंपर्ड रेस्क्यू सेंटर को मंजूरी, सबसे पहले हस्तिनापुर में बनेगा

उत्‍तर प्रदेश के महराजगंज के सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग के उत्तरी चौक रेंज में ‘लैपर्ड रेस्क्यू सेंटर’ बनाया जाएगा। प्रदेश सरकार ने महराजगंज समेत पांच जिलों में तेंदुआ रेस्क्यू सेंटर...

महराजगंज समेत यूपी के पांच जिलों में लैंपर्ड रेस्क्यू सेंटर को मंजूरी, सबसे पहले हस्तिनापुर में बनेगा
मुख्‍य संवाददाता ,महराजगंज Sun, 21 Feb 2021 02:08 PM
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उत्‍तर प्रदेश के महराजगंज के सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग के उत्तरी चौक रेंज में ‘लैपर्ड रेस्क्यू सेंटर’ बनाया जाएगा। प्रदेश सरकार ने महराजगंज समेत पांच जिलों में तेंदुआ रेस्क्यू सेंटर बनाए जाने को हरी झंडी दे दी है। पहला पायलट प्रोजेक्ट के तहत मेरठ में हस्तिनापुर में तेंदुआ रेस्क्यू सेंटर बनेगा। मेरठ की तर्ज पर महराजगंज, इटावा, पीलीभीत, महाराजगंज और चित्रकूट में तेंदुआ रेस्क्यू सेंटर का निर्माण होगा।

पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में मेरठ में बनने वाले सेंटर पर पांच करोड़ रुपये खर्च होंगे। उम्मीद है कि नए वित्तीय वर्ष 2021-22 में प्रदेश सरकार इनके लिए धनराशि जारी करेगी। लखनऊ में पिछले दिनों हुई बैठक में इसे स्वीकृति प्रदान कर दी गई। पूर्वांचल में महराजगंज जिले के सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग के प्रभागीय वन अधिकारी कार्यालय द्वारा इस रेस्क्यू सेंटर के लिए 2.65 करोड़ रुपये की डीपीआर तैयार कर पहले ही शासन को भेजी जा चुकी है। लेकिन अब इसे मेरठ की तर्ज पर संशोधित किया जाएगा। तकरीबन 5 हेक्टेयर वन्यभूमि पर निर्मित होने वाले इस लैपर्ड रेस्क्यू सेंटर में 25 डे-नाइट सेल बनाए जाएंगे।

गोरखपुर के प्राणी उद्यान में निर्मित है रेस्क्यू सेंटर
लैपर्ड रेस्क्यू सेंटर पहले गोरखपुर में भी स्थापित करने की योजना थी लेकिन यहां निर्माणाधीन चिड़ियाघर में वन्यजीव क्वारंटीन सेंटर एवं रेस्क्यू सेंटर भी निर्मित किया गया है। इसलिए सोहगीबरवा वन्य जीव प्रभाग में लैपर्ड की मौजूदगी को देखते हुए वहां ‘लैपर्ड रेस्क्यू सेंटर’ बनाए जाने का निर्णय लिया गया।

विभिन्न जिलों से रेस्क्यू कराने के बाद तेंदुओं का उपचार करना होता था, लेकिन उन्हें सीधे चिड़ियाघर भेज दिया जाता था। अब आसपास के जिलों से रेस्क्यू कराने के बाद तेंदुओं का समय रहते उपचार होगा और उन्हें पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद पुन: स्थानीय जंगलों में छोड़ा जाएगा।
अविनाश कुमार, डीएफओ गोरखपुर

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