दिमाग ठीक तो नशेड़ी को मर्जी के विरुद्ध नशा मुक्ति केंद्र भेजना अवैध : हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि किसी शराबी का दिमाग ठीक है तो उसकी मर्जी के खिलाफ जबरन नशा मुक्ति केंद्र भेजना अवैध निरुद्धि होगी। कोर्ट ने नशा मुक्ति केंद्र से पेश किए गए याची को स्वतंत्र...
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि किसी शराबी का दिमाग ठीक है तो उसकी मर्जी के खिलाफ जबरन नशा मुक्ति केंद्र भेजना अवैध निरुद्धि होगी। कोर्ट ने नशा मुक्ति केंद्र से पेश किए गए याची को स्वतंत्र कर दिया है और उसे जहां चाहे अपनी मर्जी से जाने की छूट दी है। साथ ही एसएसपी मेरठ को निर्देश दिया है कि जीवन रक्षक ड्रग डे एडिक्शन एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर मुजफ्फरनगर या जिसने याची को केंद्र में जबरन भर्ती कराया, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें।
साथ ही यह भी सुनिश्चित करें कि याची को भविष्य में कोई नुकसान न पहुंचाने पाए। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने अंकुर कुमार की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता अभिषेक मिश्र व राहुल मिश्र ने बहस की। मामले के तथ्यों के अनुसार याची को नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया गया। जिसे अवैध निरुद्धि करार देते हुए रिहाई के लिए याचिका दाखिल की गई । याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने याची को पेश करने का निर्देश दिया।
दरोगा कपिल कुमार ने नशा मुक्ति केंद्र मुजफ्फरनगर से लाकर याची को पेश किया। 29 वर्षीय अंकुर कुमार ने कोर्ट को बताया कि उसे उसके मामा वीरेंद्र सिंह उर्फ बिल्लू ने कई लोगों के साथ आकर जबरन गाड़ी में बैठाकर नशा मुक्ति केंद्र में उसकी मर्जी के खिलाफ भर्ती करा दिया है। जबकि दूसरे पक्ष का कहना था कि मामा ने नहीं, मां ने भर्ती कराया है। केंद्र के 21 अक्तूबर के पत्र से स्पष्ट है लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को नहीं माना और कहा कि मामा ने जबरन केंद्र में भर्ती कराया। वह अवैध निरुद्धि के दोषी हैं। कोर्ट ने याची की निरुद्धि को अवैध करार देते हुए याची स्वतंत्र कर दिया है।