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रोक के आदेश के बावजूद अलीगढ़ कमिश्नर ने कराया ध्वस्तीकरण, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगाया पांच हजार का हर्जाना

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ध्वस्तीकरण के आदेश पर रोक लगाए जाने के बावजूद निर्माण गिरा दिए जाने के मामले को गंभीरता से लेते हुए कमिश्नर अलीगढ़ पर पांच हज़ार रुपये हर्जाना लगाया है।

रोक के आदेश के बावजूद अलीगढ़ कमिश्नर ने कराया ध्वस्तीकरण, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगाया पांच हजार का हर्जाना
Pawan Kumar Sharmaहिन्दुस्तान,प्रयागराजThu, 26 Jan 2023 06:33 AM

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ध्वस्तीकरण के आदेश पर रोक लगाए जाने के बावजूद निर्माण गिरा दिए जाने के मामले को गंभीरता से लेते हुए कमिश्नर अलीगढ़ पर पांच हज़ार रुपये हर्जाना लगाया है। साथ ही कमिश्नर से यह स्पष्टीकरण मांगा है कि क्यों न न्यायालय के आदेश की जानबूझकर अवमानना करने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई शुरू की जाए। कोर्ट ने कमिश्नर और अन्य अधिकारियों से यह भी पूछा है कि क्यों न ध्वस्त किए गए निर्माण के पुनर्निर्माण की लागत इन अधिकारियों से वसूल की जाए। 

 यह आदेश न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने अलीगढ़ के नानूमल की अवमानना याचिका पर दिया है। कोर्ट के आदेश के अनुक्रम में कमिश्नर की ओर से इस मामले में सरकारी वकील को जानकारी भेजी गई थी लेकिन उस हलफनामे में इस बात का कहीं जिक्र नहीं था कि आवेदक की जमीन का सीमांकन और चिन्हांकन किए बिना ध्वस्तीकरण की कार्रवाई क्यों की गई। कोर्ट ने कहा कि कमिश्नर की ओर से भेजे गए निर्देश भ्रामक हैं इसलिए उन्हें रद्द करते हुए कोर्ट ने कमिश्नर पर पांच हज़ार रुपये हर्जाना लगाया है। हर्जाने की राशि दो सप्ताह में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन में जमा करने का निर्देश दिया है। 

याची के अधिवक्ता का कहना था कि अधिकारियों को 22 जून 2022 के हाईकोर्ट के आदेश की जानकारी दी गई थी। इसके बावजूद उन्होंने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई कर दी। इस पर कोर्ट ने कहा कि प्रथमदृष्टया यह जानबूझकर न्यायालय के आदेश की अवमानना का मामला बनता है। कोर्ट ने कमिश्नर अलीगढ़ व अन्य अधिकारियों को तीन सप्ताह में हलफनामा दाखिल कर यह स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है कि क्यों न उनके विरुद्ध अवमानना की कार्रवाई की जाए। साथ ही यह भी पूछा है कि बिना चिन्हांकन किए ध्वस्तीकरण किए जाने का कारण भी अधिकारी स्पष्ट करें और क्यों न ध्वस्त किए गए निर्माण को फिर से बनाने की कीमत उनसे वसूल की जाए।

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