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इनसे सीखें : ‘राम' के नाम की थपकी पर झूम रहा ‘अली'

पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य की जन्मभूमि आंवलखेड़ा हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक बन रही है। 30 वर्षों से कीर्तन मंडली में शामिल बाकर अली भगवान श्रीराम, हनुमान की भक्ति में लीन हैं। जैसे ही बाजे की...

इनसे सीखें : ‘राम' के नाम की थपकी पर झूम रहा ‘अली'
हिन्दुस्तान टीम, आगरा।Mon, 02 Sep 2019 03:36 PM
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पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य की जन्मभूमि आंवलखेड़ा हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक बन रही है। 30 वर्षों से कीर्तन मंडली में शामिल बाकर अली भगवान श्रीराम, हनुमान की भक्ति में लीन हैं। जैसे ही बाजे की धुन पर श्रीराम नाम का जाप शुरू होता है, वैसे ही बाकर अली की ढोलक में थाप लगना शुरू हो जाती है। उनका मानना है कि हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सब एक हैं। वह भगवान की भक्ति में लीन होकर ढोलक बजाते हैं।

45 वर्षीय बाकर अली का गांव आंवलखेड़ा में साइकिल रिपेयरिंग का काम है। बचपन से ही संगीत में रुचि रही है। पिता से उन्होंने इस विधा को सीखा है। 12 साल की उम्र से वह ढोलक बजा रहे हैं। उन्होंने गांव से लेकर शहर के बड़े-बड़े कार्यक्रमों में प्रस्तुति दी है। उन्होंने बताया कि वह 30 वर्षों से गांव की कीर्तन मंडली से जुड़े हैं। वह दादरा, कैरवा, खमसा, सूफियानी और कनपुरी स्टाइल में ढोलक बजाने में माहिर हैं। रामायण, हनुमान चालीसा, सुंदरकांड आदि में कनपुरी, दादरा और खमसा स्टाइल में ढोलक बजाते हैं।

गांव में बन रहा भक्तिमय वातावरण
विश्वविख्यात गांव आंवलखेड़ा पं. श्रीराम शर्मा आचार्य की जन्मस्थली है। घर-घर में भक्ति की ज्वाला जलाने के लिए 30 वर्ष पूर्व गांव में कीर्तन मंडली का शुभारंभ हुआ। सरकारी कर्मचारी रामबाबू शर्मा, व्यापारी भोले माहेश्वरी, प्रधान पति दुष्यंत चौहान, रामसनेही बघेल, किसान भोला शर्मा इसे आगे बढ़ा रहे हैं। वे त्योहार, श्रीमद्भागवत कथा आदि आयोजनों में नि:शुल्क कीर्तन करते हैं।

संगीतमयी सुंदरकांड कर रही मंडली
नि:स्वार्थ भाव से काम कर रही मंडली ने प्रत्येक शनिवार को सुंदरकांड का पाठ करने का सिलसिला शुरू किया है। वे अलग-अलग घर जाकर पाठ कर रहे हैं। ढोलक, हारमोनियम की भक्तिमय धुन पर हर कोई प्रभु के ध्यान में लीन हो जाता है। पदाधिकारियों का कहना है कि इससे गांव में एक अच्छा संदेश जाता है।

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