Akhilesh yadav s big bet to dent Dalit votes Mayawati alert Uneasiness in Samajwadi party too बदल गई सपा? मायावती के गुरु कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण करेंगे अखिलेश, Uttar-pradesh Hindi News - Hindustan
Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Akhilesh yadav s big bet to dent Dalit votes Mayawati alert Uneasiness in Samajwadi party too

बदल गई सपा? मायावती के गुरु कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण करेंगे अखिलेश

जनाधार विस्तार की चाहत में अखिलेश यादव अब दलितों को रिझाने के लिए बड़ा दांव चलने जा रहे हैं। सपा की विरासत में लोहिया, चरण सिंह के साथ-साथ अब अम्बेडकर, कांशीराम भी प्रमुखता से शामिल किए गए हैं।

Ajay Singh अजित खरे , लखनऊMon, 3 April 2023 02:33 PM
share Share
Follow Us on
बदल गई सपा? मायावती के गुरु कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण करेंगे अखिलेश

Akhilesh Yadav Politics: अपने जनाधार के विस्तार की चाहत में अखिलेश यादव अब दलितों को रिझाने के लिए बड़ा दांव चलने जा रहे हैं। सपा की विरासत में लोहिया, चरण सिंह के साथ-साथ अब अम्बेडकर और कांशीराम भी प्रमुखता से शामिल किए गए हैं। सपा मुखिया सोमवार को कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। अखिलेश की इस नई सियासत से बसपा सुप्रीमो मायावती सतर्क हो गई हैं। रविवार को उन्‍होंने गेस्‍ट हाउस कांड की याद दिलाते हुए कहा कि सपा अब कांशीराम के नाम पर पैंतरेबाजी कर रही है। 

मायावती ने कहा कि दलितों, अति पिछड़ों, बाबा साहेब अंबेडकर और कांशीराम के प्रति सपा की एहसान फरामोशी का लंबा इतिहास लोगों के सामने है। सपा की दलित और अति पिछड़ा विरोधी संकीर्ण राजनीति व मुस्लिम समाज के प्रति छलावे वाले रवैयों के कारण ही सपा-बसपा गठबंधन टूटा। भाजपा से लड़ने के बजाय सपा-बसपा को कमजोर करने में जुटी है। जबकि यदि सपा ने 1995 में गेस्ट हाउस कांड न किया होता तो आज यह गठबंधन देश पर राज कर रहा होता। बसपा सुप्रीमो यहीं नहीं रुकीं। उन्‍होंने कहा कि सपा के शासन में महान दलित संतों, गुरुओं और महापुरुषों विरोधी काम जातिगत विद्वेष से किए, किसी से छिपा नहीं है। उसके दामन पर ऐसे काले धब्बे हैं जो कभी धुलने वाले नहीं। न ही लोग इसके लिए उन्हें माफ करेंगे। दलित और अति पिछड़े तो पहले ही सपा से काफी सतर्क हैं, अब मुस्लिम समाज भी इनके बहकावे में नहीं आने वाले।

क्‍या है सपा की रणनीति
सपा के लिए अगले साल के आम चुनाव अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा पाने का बड़ा मौका है। अपने परंपरागत मुस्लिम-यादव पुराने समीकरणों में गैरयादव ओबीसी और दलितों के बड़े वर्ग को जोड़ने की मुहिम चला रही है। पिछले चुनाव में उसने गैरयादव ओबीसी पर खासा फोकस किया था। अब बारी दलितों को रिझाने की है। पिछले डेढ़ साल से बसपा के कई दलित नेताओं को सपा का दामन थामा। इनमें इंद्रजीत सरोज, केके गौतम, त्रिभुवन दत्त, आर के चौधरी प्रमुख हैं। दलित नेता अवधेश प्रसाद को भी खासी तवज्जो दे रही है। अखिलेश ने पुन अध्यक्ष चुने जाने के बाद आहवान किया था अम्बेडकरवादी और लोहियावादी साथ मिल कर काम करें।

सपा के सवर्ण नेताओं में बढ़ी बेचैनी 
सपा में स्वामी प्रसाद मौर्य को मिल रही तवज्जो से सवर्ण नेताओं में बेचैनी बढ़ रही है। राम चरित मानस की कुछ चौपाइयों पर स्वामी प्रसाद मौर्य की विवादित टिप्पणी पर पार्टी के सवर्ण नेताओं ने दबी जुबान से एतराज किया था और पार्टी अध्यक्ष को इससे अवगत कराया। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, अगर सपा का झुकाव इस तरह एक पक्ष की ओर दिखा तो सवर्ण दूसरे दल की ओर मुड़ सकते हैं और ओबीसी वोट में बड़े हिस्से मिलने की गारंटी भी नहीं है।

स्‍वामी ने बसपा पर लगाया था ये आरोप 
स्‍वामी प्रसाद मौर्य ने रविवार को कई ट्वीट कर रायबरेली के कार्यक्रम के बारे में बताया। एक ट्वीट में उन्‍होंने लिखा, 'सपा प्रमुख और विपक्ष के नेता अखिलेश यादव कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण करेंगे और उसके बाद एक बड़ी जनसभा को संबोधित करेंगे।' इसके पहले स्‍वामी मौर्य ने कहा था कि बीएसपी अब कांशीराम के विचारों और आदर्शों पर नहीं चलती है और अब समय आ गया है कि कांशीराम और मुलायम सिंह यादव के समर्थक एकजुट हों, जैसा कि उन्होंने 1993 में किया था और इतिहास को दोहराएं।