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अखिलेश यादव ने ब्राह्मण कार्ड के जरिए PDA को दिया विस्तार, उपचुनावों में नई रणनीति का इम्तिहान

सपा के ‘PDA’ के शोर में अखिलेश का माता प्रसाद पांडेय को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाना चौंकाता तो है लेकिन इसके पीछे ‘पीडीए’ को विस्तार देने की उनकी रणनीति भी कहीं न कहीं नजर आती है।

अखिलेश यादव ने ब्राह्मण कार्ड के जरिए PDA को दिया विस्तार, उपचुनावों में नई रणनीति का इम्तिहान
Ajay Singh अजित खरे, लखनऊSun, 28 July 2024 11:59 PM
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सपा के ‘पीडीए’ के शोर में अखिलेश का माता प्रसाद पांडेय को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाना चौंकाता तो है लेकिन इसके पीछे ‘पीडीए’ को विस्तार देने की उनकी रणनीति भी कहीं न कहीं नजर आती है। इसके जरिए वह 2027 के विधानसभा चुनाव तक पार्टी के जातीय दायरे की सवर्णों में भी पैठ बढ़ाना चाहते हैं। यही नहीं जल्द होने वाले विधानसभा उपचुनाव में इस ब्राह्मण कार्ड की परख हो जाएगी। इसके इतर भाजपा ने उनके फैसले को लेकर घेरा भी है।

अब विधानसभा में पार्टी का चेहरा नेता प्रतिपक्ष के तौर पर यादव के बजाए ब्राह्मण हो गया है। इसके जरिए सपा ने भाजपा को जवाब देने की कोशिश की है। यही नहीं ‘पीडीए’ की उपेक्षा का आरोप न लगे तो इसलिए उन्होंने दो मुस्लिम विधायकों को भी अधिष्ठाता व मुख्य सचेतक बनाकर महत्व देने की कोशिश की है। मुख्य सचेतक पद पहले मनोज पांडेय के पास था जो सपा से बगावत कर भाजपा के पक्ष में क्रासवोटिंग कर चुके हैं। इस तरह पार्टी ने मनोज पांडेय की कमी की भरपाई की है।

 लोकसभा चुनाव में सपा के पांच सवर्ण प्रत्याशी सांसद बनने में कामयाब रहे थे। अखिलेश ने पीडीए फार्मूले के साथ ही 11 सवर्णों पर दांव लगाया था। इसमें पांच सवर्ण प्रत्याशी सनातन पांडेय, आनंद भदौरिया,  रुचिवीरा, राजीव राय, वीरेंद्र सिंह जीत कर संसद पहुंचने में कामयाब रहे। वैसे चुनाव के वक्त अखिलेश ने मौके के हिसाब से ‘पीडीए’ की अलग-अलग व्याख्या की। सवर्ण प्रभाव वाली सीटों पर पीडीए में ‘ए’ का मतलब अगड़ा बताया गया। पार्टी ने कभी ‘ए’ का मतलब आधी आबादी (महिला) तो कभी आदिवासी बताया। सपा अपने पीडीए को इसी तरह आजमाती है।

अब दलितों को साधने की चुनौती 
ब्राह्मण को नेता प्रतिपक्ष बनाने के बाद भाजपा ने अखिलेश को निशाने पर ले लिया है। अब सपा के सामने चुनौती है कि दलितों के बीच किसी तरह की आशंका या निराशा न होने दे। अब भाजपा व बसपा दोनों सपा को पीडीए विरोधी बताएं तो हैरत नहीं।

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