मुख्तार को नहीं देख पाएगा अब्बास अंसारी? हाईकोर्ट ने नहीं सुनी पैरोल की अर्जी, सुप्रीम कोर्ट आखिरी रास्ता
माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के बाद कासगंज की जेल में बंद विधायक बेटे अब्बास अंसारी को बाप को आखिरी बार देखने का मौका मिलेगा या नहीं, ये सवाल बना हुआ है। हाईकोर्ट ने अब्बास की पैरोल अर्जी नहीं सुनी।
माफिया मुख्तार अंसारी को दफन करने से पहले उनका विधायक बेटा अब्बास अंसारी उनको अंतिम बार देख पाएगा या नहीं, ये सवाल शुक्रवार की शाम 3 बजे तक भी हल नहीं हो पाया है। अब्बास अंसारी ने पिता के जनाजे में शामिल होने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में पैरोल की अर्जी लगाई थी लेकिन सांसद-विधायकों का केस सुनने वाले जज जस्टिस संजय कुमार सिंह की अदालत आज नहीं लगी। फिर अर्जी को जस्टिस सुमित गोपाल की कोर्ट में लगाया गया लेकिन उन्होंने दूसरे बेंच का मुकदमान सुनने से इनकार कर दिया। अब अब्बास अंसारी के सामने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाकर पैरोल लेना ही एक आखिरी रास्ता है। परिवार का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट में अब्बास अंसारी समय पर अर्जी लगा पाते हैं या नहीं, और कोर्ट पैरोल देता है या नहीं, ये कुछ देर में साफ हो जाएगा। लेकिन इन दोनों सवाल से बड़ा मसला ये है कि अब्बास अंसारी कासगंज की जेल में बंद हैं। कासगंज से गाजीपुर 650 किलोमीटर दूर है जहां सड़क मार्ग से जाने में करीब 10-11 घंटे का समय लग सकता है। उधर बांदा मेडिकल कॉलेज में मुख्तार अंसारी का पोस्टमार्टम पूरा हो चुका है और परिवार के लोग किसी भी वक्त शव के साथ गाजीपुर के लिए निकल सकते हैं। बांदा से गाजीपुर 400 किलोमीटर दूर है और इस सफर में भी 8-9 घंटे का समय लगने वाला है। अनुमान है कि मुख्तार का शव रात 11-12 बजे तक गाजीपुर पहुंच पाएगा।
सूत्रों का कहना है कि मुख्तार समर्थक कानून-व्यवस्था की कोई समस्या ना पैदा करें इसके लिए प्रशासन की कोशिश होगी कि शव के गाजीपुर पहुंचते ही परिवार को थोड़ा सा वक्त देकर जनाजे और सुपुर्द-ए-खाक का काम सुबह होने से पहले पूरा कर लिया जाए। गुरुवार को अब्बास से मिलने उनकी पत्नी निखत कासगंज की जेल आई हुई थीं। मुख्तार की मौत की खबर मिलने पर निखत जहां बांदा पहुंच गईं वहीं अब्बास जेल में ही रोता-सुबकता रहा। गुरुवार की रात जेल सुपरिंटेंडेंट विजय विक्रम सिंह ने अब्बास अंसारी को मुख्तार की मौत की सूचना दी।
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