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गीता प्रेस की पुस्तकों की ऑनलाइन बिक्री में 800% का उछाल, डिलीवरी सिस्टम को और मजबूत बनाने पर जोर 

आपदा से डरें नहीं। लड़ें और उसे अवसर में तब्दील करें। बिल्कुल अंतरराष्ट्रीय ख्याति के गीता प्रेस की तरह। धार्मिक पुस्तकों के इस सुप्रसिद्ध प्रकाशन ने अनलॉक-1 में तकनीक की मदद से लोगों के घरों तक...

गीता प्रेस की पुस्तकों की ऑनलाइन बिक्री में 800% का उछाल, डिलीवरी सिस्टम को और मजबूत बनाने पर जोर 
ईश्‍वर सिंह ,गोरखपुर Tue, 29 Sep 2020 12:58 PM
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आपदा से डरें नहीं। लड़ें और उसे अवसर में तब्दील करें। बिल्कुल अंतरराष्ट्रीय ख्याति के गीता प्रेस की तरह। धार्मिक पुस्तकों के इस सुप्रसिद्ध प्रकाशन ने अनलॉक-1 में तकनीक की मदद से लोगों के घरों तक किताबें पहुंचाने पर फोकस किया। नतीजा ऑनलाइन बिक्री में 800 प्रतिशत से ज्यादा का उछाल आ गया है। इससे उत्साहित प्रबंधन अब डिजिटल सिस्टम को और मजबूत करने में जुटा है ताकि ऑर्डर पेंडिंग न रहें।

गीता प्रेस लागत मूल्य पर धार्मिक किताबें लोगों तक पहुंचाने के लिए जाना जाता है। वैदिक साहित्य से लेकर कर्मकांड तक तमाम किताबें ऐसी भी हैं जिनका प्रकाशन सिर्फ गीता प्रेस करता है। कोरोना काल में किताबों और पाठकों के बीच में लॉकडाउन की दीवार खड़ी हो गई। अनलॉक-1 में रास्ते खुले तो प्रबंधन ने ऑनलाइन ऑर्डर और होम डिलीवरी पर अमल किया। इससे गीता प्रेस की वेबसाइट ऑर्डर आठ गुना से भी ज्यादा बढ़ गए हैं। पहले ऑनलाइन काउंटर पर दो कर्मचारी थे, अब संख्या आधा दर्जन से ज्यादा हो गई है। फिलहाल अभी ऑर्डर मिलते ही किताबें पैक कर आरएमएस के जरिए भेजते हैं। 

इस तरह बढ़ा लॉकडाउन ऑर्डर का ग्राफ 
मार्च 2020 तक गीता प्रेस की वेबसाइट book.gitapress.org पर औसतन हर महीने बमुश्किल बमुश्किल सौ ऑर्डर आते थे। जून  में लॉकडाउन खुलने के बाद 719 ऑर्डर मिले। जुलाई में यह बढ़कर 835 हो गया तो अगस्त में कुल 856 ऑर्डर मिले। 

पेंडिंग कम करने में जुटे
पहले औसतन 30-35 आर्डर पेंडिंग रहते थे। लेकिन इन दिनों करीब 350 ऑर्डर पेंडिंग में हैं। मांग से उत्साहित प्रबंधन अब पेंडिंग कम करने के साथ ही डिलीवरी की समय सीमा भी घटनाने की कवायद में जुटा है। इसके लिए मैन पॉवर भी बढ़ाई जा रही है।

15 भाषाओं में 1800 पुस्तकें होती हैं प्रकाशित 
गीता प्रेस से कुल 15 भाषाओं में करीब 1800 तरह की पुस्तकें प्रकाशित होती हैं। हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, बांग्ला, उड़िया, असमिया, गुजराती, मराठी, तमिल, तेलगु, कन्नड़, मलयालम, उर्दू, पंजाबी व नेपाली भाषाओं में पुस्तकें प्रकाशित होती हैं। इन सभी भाषाओं में पाठकों की अच्छी संख्या है। 

ऑनलाइन इन पुस्तकों की सर्वाधिक मांग
पाठकों द्वारा विभिन्न धार्मिक पुस्तकों के लिए ऑनलाइन ऑर्डर दिए जा रहे हैं। हालांकि तीन महीने के दौरान सर्वाधिक ऑर्डर श्री रामचरितमानस और गीता साधक संजीवनी, वाल्मीकि रामायण, भागवत महापुराण और शिवमहापुराण के मिले हैं।

कोरोना के कारण लोग घरों से कम निकल रहे हैं। पाठकों को पुस्तकें सुरक्षित मिल जा रही हैं। इसलिए ऑनलाइन ऑर्डर में काफी वृद्धि हुई है। यह लोगों की आदत में सम्मिलित हो रहा है ऐसे में ऑनलाइन कारोबार का भविष्य देखते हुए संसाधन बढ़ाए जा रहे हैं। गीता प्रेस का प्रयास है कि ऑर्डर मिलने के बाद जल्द से जल्द पाठकों तक पुस्तकें पहुंचा दी जाए। 
डॉ. लालमणि तिवारी, उत्पाद प्रबंधक, गीता प्रेस

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