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उत्तर प्रदेश: कानपुर में POEM सुनाते-सुनाते 5वीं के छात्र की क्लास रूम में मौत

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कानपुर (Kanpur) में रेसिटिशन परीक्षा में पोयम सुनाते-सुनाते पांचवीं के छात्र की क्लास रूम में मौत हो गई। घटना से स्कूल में अफरातफरी मच गई। सूचना के बाद पहुंचे परिजन...

उत्तर प्रदेश: कानपुर में POEM सुनाते-सुनाते 5वीं के छात्र की क्लास रूम में मौत
कानपुर, वरिष्ठ संवाददाताWed, 28 Nov 2018 10:58 AM
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कानपुर (Kanpur) में रेसिटिशन परीक्षा में पोयम सुनाते-सुनाते पांचवीं के छात्र की क्लास रूम में मौत हो गई। घटना से स्कूल में अफरातफरी मच गई। सूचना के बाद पहुंचे परिजन उसे अस्पताल ले गए। वहां से हैलट भेजा गया, जहां डॉक्टरों ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया। मां की तहरीर पर स्कूल प्रबंधन के खिलाफ गैर इरादतन हत्या की एफआईआर दर्ज की गई है। शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।

देर से दी सूचना, स्कूटी से ही ले गए अस्पताल
केशवनगर निवासी अमित गुप्ता का 10 वर्षीय पुत्र अंशुमित गुप्ता मदर टेरेसा हायर सेकेंड्री स्कूल में पढ़ता था। मंगलवार को मौखिक परीक्षा हो रही थी। वह आधी पोयम सुना चुका था तभी उसे चक्कर आया और गिर पड़ा। शिक्षिका ने उसे उठाने की कोशिश की। स्कूल कार्यालय को सूचना देकर उसे बेंच पर लिटाया गया। थोड़ी देर बाद फोन करके उसे घर वालों को सूचना दी गई। बदहवास हालत में मां अनुसुइया रिश्तेदार के साथ स्कूल पहुंचीं। आनन-फानन में पड़ोस के प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने जवाब दे दिया। सर्वोदय नगर स्थित अस्पताल ले गए, जहां जवाब दे दिया गया। हैलट लाए तो डॉक्टरों ने मौत की पुष्टि कर दी। अनुसुइया ने स्वरूप नगर में स्कूल प्रबंधन के खिलाफ तहरीर दी। नौबस्ता थाने से जुड़ा मामला होने पर तहरीर नौबस्ता भेज दी गई। इंस्पेक्टर के मुताबिक रिपोर्ट दर्ज की है।

कानपुर के मदर टेरेसा हायर सेकेंड्री स्कूल में छात्र की मौत

स्कूल प्रबंधन पर उत्पीड़न के आरोप: छात्र की मां ने स्कूल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कहा कि बेटा स्कूल प्रबंधन द्वारा मानसिक दबाव में था। उन्होंने प्रबंधन से व्यवहार में नरमी लाने की गुजारिश की थी। प्रताड़ना से बच्चे की मौत हुई है।

कानपुर: बीमारी से हुई थी अंशुमित की स्कूल में मौत, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुआ खुलासा

छात्र के परिजनों का आरोप है कि उन्हें देर से सूचना दी गई। बच्चे को अस्पताल नहीं पहुंचाकर घरवालों का इंतजार किया गया। अगर समय से अस्पताल पहुंचाया जाता तो जान बच सकती थी। स्कूल प्रबंधन ने वाहन तक नहीं उपलब्ध कराया।

बच्चे को पहले से थी बीमारी :
स्कूल के मैनेजर इमैनुअल सिंह का कहना है कि अंशुमित की तबीयत खराब होने पर फौरन स्कूल से घर सूचना दी गई। 500 मीटर दूरी पर बच्चे का घर था। घरवाले पांच मिनट में आ गए। कोई देरी नहीं हुई। परिजन पड़ोस के एक अस्पताल ले गए थे। बच्चा पहले से बीमार था बच्चा फेफड़े और गुर्दे की बीमारी से पीड़ित था।

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