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कोरोना काल में 40 फीसदी बच्चे छोड़ सकते हैं स्कूल, फीस है वजह

कोरोना काल में फीस की वजह से सत्र 2020-21 में 40 फीसदी छात्र स्कूल छोड़ सकते हैं। यह हम नहीं बल्कि स्कूलों के एक संगठन का आंतरिक सर्वे बता रहा है। इनकी मानें तो उन छात्रों की संख्या अधिक है जिनके...

कोरोना काल में 40 फीसदी बच्चे छोड़ सकते हैं स्कूल, फीस है वजह
हिन्दुस्तान,कानपुरWed, 09 Sep 2020 07:41 PM
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कोरोना काल में फीस की वजह से सत्र 2020-21 में 40 फीसदी छात्र स्कूल छोड़ सकते हैं। यह हम नहीं बल्कि स्कूलों के एक संगठन का आंतरिक सर्वे बता रहा है। इनकी मानें तो उन छात्रों की संख्या अधिक है जिनके अभिभावक न तो फीस जमा कर रहे और न ही किसी तरह का स्कूल प्रबंधन से संपर्क कर रहे हैं। ऐसे अभिभावक अनिर्णय की स्थिति में आकर अपने गांव चले गए हैं।

अप्रैल में शुरुआत के बाद आधा सत्र बीतने को है और अभी तक स्कूल पहले सत्र की ही फीस जमा कराने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। कानपुर में सीबीएसई से संबद्ध करीब 100 और आईसीएसई के 40 से अधिक विद्यालय हैं। यूपी बोर्ड से संबद्ध अनुदानित समेत 590 विद्यालय हैं। यूपी बोर्ड के पांच फीसदी पब्लिक स्कूल ही ऐसे हैं, जहां फीस अधिक है। सर्वे में करीब 68 विद्यालयों को शामिल किया गया था। इसमें ज्यादातर सीबीएसई और आईसीएसई के ही हैं। यूपी बोर्ड के स्कूलों का भी आकलन किया गया है।

दस फीसदी स्कूलों की चांदी
कानपुर नगर के 10 फीसदी स्कूल ऐसे हैं जहां 70 फीसदी या इससे अधिक फीस मिल चुकी है। इनमें ऐसे भी विद्यालय हैं जहां 90 फीसदी से ज्यादा अभिभावकों ने फीस जमा की है। यह वह विद्यालय हैं जहां माना जाता है कि अपेक्षाकृत धनाढ्य वर्ग के छात्र पढ़ते हैं। शिक्षा का स्तर भी बेहतर माना जाता है। इनमें से ज्यादातर ऐसे स्कूल हैं जिन्होंने अपने शिक्षकों को पूरा वेतन दिया है और ऑनलाइन पढ़ाई भी जारी है। इसके अतिरिक्त वार्षिक कार्यक्रम भी चल रहे हैं। 20 फीसदी ऐसे स्कूल हैं जिन्हें 50 फीसदी अभिभावक फीस दे चुके हैं। इनमें कुछ ने एक टर्म की दी है तो कुछ ने चार से पांच महीनों तक की। यह स्कूल भी अभिभावकों पर दबाव बनाने में सफल रहे।

इनका हुआ नुकसान
शहर के 70 फीसदी स्कूल संकट में हैं। यहां 30 फीसदी या इससे कम अभिभावकों ने फीस जमा की है। इनमें से तमाम ने अभिभावकों के साथ बैठक कर बीच का रास्ता निकाला लेकिन ज्यादातर ऐसे हैं जो अब तक फीस लेने में सफल नहीं हो सके हैं। इन स्कूलों में इस बात का आवेदन करने वालों की संख्या अधिक है कि वे फीस देने में सक्षम नहीं हैं। इन पर फैसला बाद में होगा।

क्या कहते हैं शिक्षा से जुड़े लोग
अभी जो स्थिति है वह कल नहीं होगी। ऑनलाइन पढ़ाई की स्थिति देखें तो ड्रॉपआउट की संभावना कम है। फीस के आधार पर ड्रॉपआउट अधिक होगा। स्कूलवार ड्रॉपआउट का रेट अधिक होगा। कहीं 10 फीसदी तो कहीं चार गुना भी हो सकता है।- बलविंदर सिंह, महामंत्री केपीएसए गुरुनानक मॉडर्न स्कूल

मेरा मानना है कि ऐसे स्लूक जहां शुरू से अच्छी पढ़ाई हो रही है वहां ड्रॉपआउट कम होगा लेकिन जहां परिस्थितियां प्रतिकूल हैं वहां 40 फीसदी तक हो सकता है। छोटे क्लासों में ड्रॉपआउट अधिक लेकिन सीनियर में कम होगा। फीस का मुद्दा भी इसे तय करेगा।- अमरप्रीत सिंह, संयुक्त सचिव, दून इंटरनेशनल स्कूल

फीस एक बड़ा मुद्दा है पर धीरे-धीरे बदलाव भी देखने को मिल रहा है। अगर सिर्फ फीस के आधार पर ड्रॉपआउट देखा जाएगा तो यह बहुत हो सकता है पर जैसे स्थितियां अब बदल रही हैं उससे लगता है कि अभिभावक भी बच्चों के बेहतर भविष्य की ओर ध्यान देंगे।- रोहित जायसवाल, प्रबंधक गुलमोहर पब्लिक स्कूल

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