उत्तर प्रदेश के 16 विकास प्राधिकरणों के सामने खजाना खाली होने का संकट, नौ के पास जमीन नहीं
उत्तर प्रदेश के 16 विकास प्राधिकरणों की स्थिति बहुत खराब हो गई है। उनके सामने खजाना खाली होने का संकट खड़ा हो गया है। प्रदेश के नौ विकास प्राधिकरणों के पास भूमि बैंक खत्म हो गया है।
उत्तर प्रदेश के 16 विकास प्राधिकरणों की स्थिति बहुत खराब हो गई है। उनके सामने खजाना खाली होने का संकट खड़ा हो गया है। प्रदेश के नौ विकास प्राधिकरणों के पास भूमि बैंक खत्म हो गया है और सात के पास तीन हेक्टेयर से भी कम जमीन है। इसके चलते न तो ये योजना ला पा रहे हैं और न ही खाली खजाना भर पा रहे हैं। आवास विभाग ने इनको भूमि बैंक जुटाने के निर्देश दिए हैं, जिससे इनकी स्थिति में सुधार हो सके।
बागपत, बस्ती, बुलंदेशहर समेत नौ प्राधिकरणों के पास जमीन नहीं
प्रदेश में आबादी बढ़ने के साथ ही शहरों में आवासीय जरूरतें बढ़ रही हैं। बिल्डर और प्रापर्टी डीलर भले ही अवैध तरीके से कालोनियां धड़ाधड़ बसा रहे हैं पर विकास प्राधिकरणों को जरूरत भर जमीन भी नहीं मिल पा रही है। आवास विभाग ने फरवरी में विकास प्राधिकरण भूमि बैंक की स्थिति का आकलन किया। इसके आधार पर पता चला है कि विकास प्राधिकरणों के पास मात्र 4464 हेक्टेयर भूमि शेष है। बागपत, बस्ती, बुलंदशहर, मिर्जापुर, मुरादाबाद, रामपुर, वाराणसी, कपिलवस्तु और चित्रकूट के पास भूमि बैंक शून्य है।
सहारनपुर-शामली रेलमार्ग पर आज रहेगा तीन घंटे ब्लॉक, देखें टाइम और डिटेल
आजमगढ़ में 1.04 हेक्टेयर, फिरोजाबाद दो, खुर्जा 2.69, मुजफ्फरनगर 1.21, उरई 1.41, सहारनपुर में 1.63 व कुशीनगर विकास प्राधिकरण के पास 1.03 हेक्टेयर जमीन है। यह तीन हेक्टेयर से भी कम है। प्रमुख सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण ने विकास प्राधिकरणों के पास भूमि बैंक न होने पर चिंता जताई है। शासन ने विकास प्राधिकरणों को निर्देश दिया है कि भूमि बैंक बनाने की दिशा में सार्थक प्रयास किए जाएं। न्यायालय में जमीन को लेकर कोई मामला चला रहा है तो उस पर प्रभावी पैरवी करते हुए उसे प्राप्त करने के प्रयास किए जाएं।
आवास विभाग बड़े शहरों के साथ छोटे शहरों में रियल स्टेट को बढ़ावा देना चाहता है। निवेशकों के माध्यम के साथ विकास प्राधिकरण स्तर पर कालोनियां लाने की योजनाएं तैयार कराई जा रही हैं। इसीलिए प्रदेश के सभी विकास प्राधिकरणों को निर्देश दिया गया है कि वे भूमि बैंक बनाने के साथ ही योजना लाने का प्रस्ताव तैयार करें। गरीबों, निम्न मध्य वर्ग के साथ मध्य वर्ग के लिए मकान बनाए जाएं, जिससे लोगों को उनकी जरूरत के आधार पर मकान मिल सके।