ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेशब्लैक फंगस के इलाज का जिम्मा संभालेगी पीजीआई की 12 सदस्यीय टीम

ब्लैक फंगस के इलाज का जिम्मा संभालेगी पीजीआई की 12 सदस्यीय टीम

उत्तर प्रदेश में कोविड संक्रमण की धीमी होती रफ्तार के बीच पैर-पसारते ब्लैक फंगस से बचाव की तैयारी शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर एसजीपीजीआई लखनऊ में ब्लैक फंगस के मरीजों के...

ब्लैक फंगस के इलाज का जिम्मा संभालेगी पीजीआई की 12 सदस्यीय टीम
विशेष संवाददाता, लखनऊSun, 16 May 2021 06:49 AM
ऐप पर पढ़ें

उत्तर प्रदेश में कोविड संक्रमण की धीमी होती रफ्तार के बीच पैर-पसारते ब्लैक फंगस से बचाव की तैयारी शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर एसजीपीजीआई लखनऊ में ब्लैक फंगस के मरीजों के उपचार की दिशा तय करने के लिए 12 सदस्यीय वरिष्ठ चिकित्सकों की टीम गठित कर दी गई है। इस टीम से अन्य चिकित्सक मार्गदर्शन भी ले सकेंगे।

शनिवार को एसजीपीजीआई के निदेशक डॉ. आरके धीमन की अध्यक्षता में विशेष टीम ने प्रदेश के विभिन्न सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेजों, अस्पतालों के डॉक्टरों को इलाज के बारे में प्रशिक्षण दिया। ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यशाला में डॉक्टरों को ब्लैक फंगस के रोगियों की पहचान, इलाज, सावधानियों आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।

इंतजाम में देरी नहीं
शनिवार को टीम-9 की बैठक में मुख्यमंत्री ने प्रदेश में ब्लैक फंगस की स्थिति की जानकारी लेते हुए इस मामले में 'प्रो-एक्टिव' रहने के निर्देश दिए हैं। सीएम ने कहा कि विशेषज्ञों के मुताबिक कोविड से उपचारित मरीजों खासकर अनियंत्रित मधुमेह की समस्या से जूझ रहे लोगों में ब्लैक फंगस की समस्या देखने में आई है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग को निर्देश दिए कि विशेषज्ञों के परामर्श के अनुसार इसके उपचार में उपयोगी दवाओं की उपलब्धता तत्काल सुनिश्चित कराई जाए। लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए जरूरी गाइड लाइन जारी कर दी जाएं। सभी जिलों के जिला अस्पतालों में इसके उपचार की सुविधा दी जाए।

प्लास्टिक सर्जन डॉ. सुबोध कुमार सिंह ने कहा कि म्यूकर माइकोसिस अथवा ब्लैक फंगस, चेहरे, नाक, साइनस, आंख और दिमाग में फैलकर उसको नष्ट कर देता है। इससे आंख सहित चेहरे का बड़ा भाग नष्ट हो जाता है और जान जाने का भी खतरा रहता है। इसके लक्षण दिखते ही तत्काल उचित चिकित्सकीय परामर्श लेना बेहतर है। लापरवाही भारी पड़ सकती है।

इन मरीजों को बरतनी होगी खास सावधानी
1. कोविड इलाज के दौरान जिन मरीजों को स्टेरॉयड दवा जैसे, डेक्सामिथाजोन, मिथाइल प्रेड्निसोलोन इत्यादि दी गई हो।
2. कोविड मरीज को इलाज के दौरान ऑक्सीजन पर या आईसीयू में रखना पड़ा हो।
3. डायबिटीज का नियंत्रण न हो।
4. कैंसर, किडनी ट्रांसप्लांट इत्यादि के लिए दवा चल रही हो।

यह लक्षण दिखें तो तुरंत लें डॉक्टर की सलाह
1. बुखार आ रहा हो, सर दर्द हो रहा हो, खांसी हो, सांस फूल रही हो।
2. नाक बंद हो। नाक में म्यूकस के साथ खून आ रहा हो।
3. आंख में दर्द हो। आंख फूल जाए, एक वस्तु दो दिख रही हो या दिखना बंद हो जाए।
4. चेहरे में एक तरफ दर्द हो , सूजन हो या सुन्न हो (छूने पर छूने का अहसास ना हो)
5. दांत में दर्द हो, दांत हिलने लगें, चबाने में दर्द हो।
6. उल्टी में या खांसने पर बलगम में खून आये।

क्या करें
कोई भी लक्षण होने पर तत्काल सरकारी अस्पताल में या किसी अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर से तत्काल परामर्श करें। नाक, कान, गले, आंख, मेडिसिन, चेस्ट या प्लास्टिक सर्जरी विशेषज्ञ से संपर्क कर तुरंत इलाज शुरू करें।

बरतें यह सावधानियां
1. स्वयं या किसी गैर विशेषज्ञ डॉक्टर के, दोस्त मित्र या रिश्तेदार की सलाह पर स्टेरॉयड दवा कतई शुरू ना करें।
2. लक्षण के पहले 5 से 7 दिनों में स्टेरॉयड देने से दुष्परिणाम होते हैं। बीमारी शुरू होते ही स्टेरॉयड शुरू ना करें। इससे बीमारी बढ़ जाती है।
3. स्टेरॉयड का प्रयोग विशेषज्ञ डॉक्टर कुछ ही मरीजों को केवल 05-10 दिनों के लिए देते हैं, वह भी बीमारी शुरू होने के 05-07 दिनों बाद केवल गंभीर मरीजों को। इसके पहले बहुत सी जांच आवश्यक है।
4. इलाज शुरू होने पर डॉक्टर से पूछें कि इन दवाओं में स्टेरॉयड तो नहीं है। अगर है, तो ये दवाएं मुझे क्यों दी जा रही हैं?
5. स्टेरॉयड शुरू होने पर विशेषज्ञ डॉक्टर के नियमित संपर्क में रहें।
6. घर पर अगर ऑक्सीजन लगाया जा रहा है तो उसकी बोतल में उबाल कर ठंडा किया हुआ पानी डालें या नार्मल सलाइन डालें। बेहतर हो अस्पताल में भर्ती हों।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें