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तीसरे दिन मां के चंद्रघंटा स्वरूप की हुई पूजा

शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन सोमवार को मातारानी के तृतीय चन्द्रघंटा स्वरूप की पूजा हुई। जिले के विभिन्न देवी मंदिरों में तीसरे दिन भी भक्तों पूजन अर्चन के लिए भीड़ लगी रही। सुबह मंदिर के कपाट खुलते ही...

शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन सोमवार को मातारानी के तृतीय चन्द्रघंटा स्वरूप की पूजा हुई। जिले के विभिन्न देवी मंदिरों में तीसरे दिन भी भक्तों पूजन अर्चन के लिए भीड़ लगी रही। सुबह मंदिर के कपाट खुलते ही...
1/ 4शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन सोमवार को मातारानी के तृतीय चन्द्रघंटा स्वरूप की पूजा हुई। जिले के विभिन्न देवी मंदिरों में तीसरे दिन भी भक्तों पूजन अर्चन के लिए भीड़ लगी रही। सुबह मंदिर के कपाट खुलते ही...
शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन सोमवार को मातारानी के तृतीय चन्द्रघंटा स्वरूप की पूजा हुई। जिले के विभिन्न देवी मंदिरों में तीसरे दिन भी भक्तों पूजन अर्चन के लिए भीड़ लगी रही। सुबह मंदिर के कपाट खुलते ही...
2/ 4शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन सोमवार को मातारानी के तृतीय चन्द्रघंटा स्वरूप की पूजा हुई। जिले के विभिन्न देवी मंदिरों में तीसरे दिन भी भक्तों पूजन अर्चन के लिए भीड़ लगी रही। सुबह मंदिर के कपाट खुलते ही...
शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन सोमवार को मातारानी के तृतीय चन्द्रघंटा स्वरूप की पूजा हुई। जिले के विभिन्न देवी मंदिरों में तीसरे दिन भी भक्तों पूजन अर्चन के लिए भीड़ लगी रही। सुबह मंदिर के कपाट खुलते ही...
3/ 4शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन सोमवार को मातारानी के तृतीय चन्द्रघंटा स्वरूप की पूजा हुई। जिले के विभिन्न देवी मंदिरों में तीसरे दिन भी भक्तों पूजन अर्चन के लिए भीड़ लगी रही। सुबह मंदिर के कपाट खुलते ही...
शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन सोमवार को मातारानी के तृतीय चन्द्रघंटा स्वरूप की पूजा हुई। जिले के विभिन्न देवी मंदिरों में तीसरे दिन भी भक्तों पूजन अर्चन के लिए भीड़ लगी रही। सुबह मंदिर के कपाट खुलते ही...
4/ 4शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन सोमवार को मातारानी के तृतीय चन्द्रघंटा स्वरूप की पूजा हुई। जिले के विभिन्न देवी मंदिरों में तीसरे दिन भी भक्तों पूजन अर्चन के लिए भीड़ लगी रही। सुबह मंदिर के कपाट खुलते ही...
हिन्दुस्तान टीम,सोनभद्रMon, 19 Oct 2020 09:10 PM
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शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन सोमवार को मातारानी के तृतीय चन्द्रघंटा स्वरूप की पूजा हुई। जिले के विभिन्न देवी मंदिरों में तीसरे दिन भी भक्तों पूजन अर्चन के लिए भीड़ लगी रही। सुबह मंदिर के कपाट खुलते ही भक्तों ने सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए कतारबद्ध होकर मातारानी का दर्शन-पूजन किया। सुबह से लेकर देर शाम तक मातारानी के दर्शन-पूजन के लिए भक्तों की कतार लगी रही। सुरक्षा के मद्देनजर जगह-जगह मंदिरों पर महिला पुलिस को भी तैनात किया गया था।

राबर्ट्सगंज नगर स्थित शीतला मंदिर में सोमवार को तीसरे दिन भी भक्तों का दर्शन-पूजन करने के लिए तांता लगा रहा। सुबह मंदिर का कपाट खुलते ही भक्तों के आने का क्रम शुरु हो गया। देखते ही देखते मंदिर परिसर में भक्तों की काफी भीड़ लग गई। भक्तों ने कतारबद्ध होकर मातारानी का दर्शन-पूजन किया। वहीं नगर के मेन चौक स्थित मां दुर्गा मंदिर, अम्बेडकर नगर स्थित कडे़ मां शीतला मंदिर तथा सातो मइया मंदिर में भी दर्शन पूजन के लिए भक्तों की काफी भीड़ लगी रही। सोमवार की देर शाम दंडईत बाबा मंदिर परिसर में स्थित मां काली मंदिर में आरती के दौरान लोगों की काफी भीड़ जुटी रही।

डाला प्रतिनिधि के अनुसार क्षेत्र के वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग किनारे बाडी़ स्थित वैष्णो मंदिर में शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन सोमवार को भी कल्याणकारी मां दुर्गा स्वरूप चंद्रघंटा देवी के दर्शन-पूजन की धूम मची रही। मंदिर में सुबह से ही दर्शन-पूजन का जो सिलसिला शुरु हुआ, वह देर शाम तक जारी रहा। स्थानीय पुलिस प्रशासन के साथ मंदिर समिति के लोग कोविड नियमों का पालन कराने के लिए चक्रमण करते रहे। वैष्णो मंदिर के पूर्व पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि पावन नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की उपासना की जाती है। मैया का का स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है मां चंद्रघंटा का रूप बहुत सौम्य है मां के मस्तक में घंटे के आकार का अर्द्धचंद्र है, इसलिए मां को चंद्रघंटा देवी कहा जाता है। मां चंद्रघंटा के भक्त जहां भी जाते हैं लोग उन्हें देखकर शांति और सुख का अनुभव करते हैं। दुद्धी प्रतिनिधि के अनुसार शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन सोमवार को मातारानी के तृतीय चन्द्रघंटा स्वरूप की पूजा अर्चना हुई। सुबह से ही नगर स्थित मां दुर्गा मंदिर में भक्तों के दर्शन-पूजन का क्रम लगा रहा। भक्तों ने मातारानी का दर्शन-पूजन कर मंगल कामना की। वहीं नगर के अन्य देवी मंदिरों में भी सुबह से लेकर देर शाम तक दर्शन-पूजन का क्रम चलता रहा।

रुद्राभिषेक नवाह्न पारायण यज्ञ का श्रीगणेश

डाला। नगर के प्राचीन मंदिर श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर के 53वें स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर विगत वर्षों के भांति इस वर्ष भी रुद्राभिषेक नवाह्न पारायण यज्ञ मानस प्रवचन का आयोजन समस्त विधि विधान द्वारा किया जा रहा है। सोमवार को प्रात: महा रुद्राभिषेक नवाह्न पारायण का आयोजन प्रारंभ हो गया था, जिसमें विशेष आचार्यों ने वैदिक श्लोक पाठो द्वारा समस्त वातावरण को शुद्ध किया। कोरोना महामारी को देखते हुए उसके रोकथाम हेतु मंदिर संस्थान ने समस्त श्रद्धालुओं को मास्क उपयोग करना, सामाजिक दूरी एवं सेनेटाइजेशन के पश्चात ही मंदिर प्रांगण में उपस्थित होने की अनुमति प्रदान की है। सात दिन चलने वाले महायज्ञ के मद्देनजर श्रीअचलेश्वर महादेव मंदिर फाउंडेशन के संस्थापक महंत मुरली तिवारी ने समस्त श्रद्धालुओं से निवेदन करते हुए कहा है कि समस्त भक्तजन कोविड 19 महामारी से बचाव के लिए प्रशासन द्वारा आदेशित सभी नियमों का पालन करें। तत्पश्चात ही मंदिर में आने जाने की अनुमति प्रदान की जाएगी ।

धनुष भंजन होते ही जय श्रीराम से गुंजा पंडाल

बभनी। असनहर गांव में चल रहे रामलीला में रविवार की रात धनुष यज्ञ के लीला का सफल मंचन किया गया। धनुष टूटते ही पूरा पंडाल जय श्रीराम के जयकार से गूंज उठा। जनकपुर में राजा जनक की पुत्री सीता के स्वयम्बर में देश - देश के राजा गण आये हुये थे। सीता के स्वयंवर में रावण - वाणासुर भी आये।परन्तु कोई भी राजा धनुष को उठा नही सके। रावण और वाणासुर में संवाद हुआ और वाणासुर धनुष को प्रणाम कर चल दिये। रावण जब धनुष को उठाने चला तो उसी समय आकाशवाणी होती है, तब रावण वापस चला गया और सीता को एक बार लंका में ले जाने का वचन दिया। सभी राजाओं ने हार मान कर एक साथ धनुष उठाने लगे तब भी घनुष नही उठा सके। तब राजा जनक जी क्रोधित होकर बोले - हे देश - देश के राजा गण मैं किसे कहुँ बलसाली है। मुझको तो विश्वास हुआ कि पृथ्वी बीरों से खाली है। इस शब्द को सुन कर लक्ष्मण जी क्रोधित होकर बोले - सच्चे योद्धा सच्चे क्षत्रि अपमान नही सह सकते है। जिनको सुनने की ताव नही वह चुप कैसे रह सकते है। फिर विश्वामित्र मुनि की आज्ञा पाकर श्रीरामचन्द्र जी धनुष उठाने जाते है तब सुनयना रानी दु:खी होकर सखी से वार्तालाप करती है कि - हे सखी इस समय राजा को कोई नही समझाता है। यह बालक इस हठ योग्य कहाँ जो धनुष उठाने जाता है। सखी को समझाने पर रानी को भरोसा हो ता है तभी रामचन्द्र जी धनुष का खण्डन करते है। इस मौके पर अमरदेव पांडेय, सूर्यकांत दुबे, रामजनक, छोटेलाल, मेंहीलाल, नंदलाल, लालकेश आदि का प्रमुख योगदान रहा।

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