किसान उन्नतशील बीज व जैविक खाद का करें उपयोग
आगामी खरीफ फसल की तैयारी के लिए किसान लग गये हैं, लेकिन मानसूनी बरसात न होने से थोडे़ चिंतित भी नजर आ रहे हैं। बेहतर धान की खेती तथा लागत मूल्य से ज्यादा पैदावार के संबंध में तिसुही कृषि...
आगामी खरीफ फसल की तैयारी के लिए किसान लग गये हैं, लेकिन मानसूनी बरसात न होने से थोडे़ चिंतित भी नजर आ रहे हैं। बेहतर धान की खेती तथा लागत मूल्य से ज्यादा पैदावार के संबंध में तिसुही कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रभारी वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर संजीत कुमार ने किसानों को कई उपाय सुझाए।
इस दौरान डॉक्टर संजीत ने बताया कि जनपद में विगत वर्ष कम बरसात के कारण किसानों की धान की फसल प्रभावित हुई। इसके लिए किसानों को कम पानी में बेहतर धान की उपज लेने के लिए कम समय में धान तैयार होने वाले धान मसलन नरेन्द्र 2, नरेन्द्र 97, नरेन्द्र 118, बारानी दीप धान की खेती करने का परामर्श दिया गया। उन्होंने बताया पहली बात तो कृषि विभाग या बीज केन्द्र से उपचारित या शोधित बीज का उपयोग करें। उन्होने बताया कि यदि बीज शोधित नही है तो एक किलो ग्राम धान के बीज में ढाई ग्राम मैकोजैब या थीरम का उपयोग करें। एक एकड़ के लिए दस से 12 किलोग्राम धान की बीज नर्सरी के लिए डाले। उन्होने खेत तैयार करते समय खेत में एक एकड़ में चार से पांच टन प्रति एकड़ कम्पोस्ट या जैविक खाद का उपयोग करें।
उन्होंने धान की रोपाई के लिए छोटी छोटी क्यारी बनाने मसलन सवा मीटर चौडी तथा आठ मीटर लम्बी क्यारी बनाने तथा रोपाई के समय धान के खेत में 50 किलोग्राम प्रति एकड़ डाईअमोनियम सल्फेट तथा दस किलोग्राम जिंक सल्फेट का उपयोग करने की सीख दी। नर्सरी बीस से तीस दिन में तैयार होने पर एक स्थान पर दो से तीन पौधे रोपने तथा पौधों की दूरी 20 सेमी दूर रखने की आवश्यकता पर बल दिया। खरपतवार नियंत्रण तथा रोपाई से बीस दिन बाद सिंचाई तथा कल्ले बनते समय सिंचाई को आवश्यक बताया। पर्याप्त पानी होने पर खेत की नमी बनाये रखने तथा खरपतवार नियंत्रण के लिए कैंगो जैब का छिड़काव करने की नसीहत दी। उन्होने धान के साथ ही अन्य खरीफ फसलों को बोने तथा बेहतर पैदावार को लेकर उत्पादन बेहतर करने की सीख दी।