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कोयले का सड़क परिवहन करें बंद, राख का शत प्रतिशत हो इस्तेमाल

एनसीएल खदानों से रेल लाइन द्वारा कोयले का शत प्रतिशत परिवहन सुनिश्चित कराने के प्रयास गम्भीरता से किये जाये। मुकम्मल व्यवस्था होने तक कोयले के सड़क परिवहन में पूरी सावधानी रखी जाये। बिजलीघरों से...

कोयले का सड़क परिवहन करें बंद, राख का शत प्रतिशत हो इस्तेमाल
हिन्दुस्तान टीम,सोनभद्रSun, 06 Jan 2019 12:13 AM
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एनसीएल खदानों से रेल लाइन द्वारा कोयले का शत प्रतिशत परिवहन सुनिश्चित कराने के प्रयास गम्भीरता से किये जाये। मुकम्मल व्यवस्था होने तक कोयले के सड़क परिवहन में पूरी सावधानी रखी जाये। बिजलीघरों से उत्सर्जित राख के हाइवे एवं सड़क निर्माण में इस्तेमाल की सम्भावना विद्युतगृह तलाशे जिससे कि राख का शत प्रतिशत इस्तेमाल हो सके। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने ऊर्जान्चल में प्रदूषण के नियंत्रण को लेकर बीते 28 अगस्त को गठित जस्टिस राजेश कुमार की अध्यक्षता वाली ओवरसाइट कमेटी की दी गयी रिपोर्ट के बाद तीन अगस्त को हुई सुनवाई में यह निर्देश जारी किये हैं। अधिवक्ता अश्वनी कुमार दुबे की याचिका 276/2013 के सन्दर्भ में सुनवाई के दौरान जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली चार जजों की बेंच ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को ऊर्जान्चल में वायु और जल प्रदूषण की ताजा स्थिति की जानकारी ओवरसाइट कमेटी को देने के निर्देश दिये हैं। दोनों प्रदेशों के स्वास्थ्य सचिवों को प्रभावित क्षेत्रों के लोगों की प्रदूषण से सम्बन्धित बीमारियों का अध्ययन कराकर दो माह के भीतर ओवरसाइट कमेटी को सुपुर्द करने की कड़ी हिदायत आदेश में दी है। शुद्ध पेयजल के लिए पाइप लाइन से जलापूर्ति की योजना को त्वरित एवं समयबद्ध ढंग से मुकम्मल करने के कड़े निर्देश भी गुरुवार को हुई सुनवाई के बाद दिये हैं। दिये गये सभी निर्देशों और ओवरसाइट कमेटी द्वारा कराये जा रहे कार्यों पर अनुपालन रिपोर्ट मिलने के बाद आगामी 16 अप्रैल को अब पुन: सुनवाई एनजीटी करेगी।

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यह शुरू कराये गये हैं काम

ओवरसाइट कमेटी ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए अब तक की गयी चार बैठकों में सड़क से कोयला परिवहन, उत्सर्जित राख के इस्तेमाल, औड़ीमोड़-शक्तिनगर फोरलेन मार्ग का निर्माण और पेयजल के लिए अनपरा-शक्तिनगर क्षेत्र में इन्टीग्रेटेड वाटर सप्लाई सिस्टम से पेयजल आपूर्ति जैसे बिन्दुओं पर कड़ाई से कार्य शुरू करवाया है। रिपोर्ट में सबकी जानकारी एनजीटी को दी गयी जिनको एनजीटी ने स्वीकार करते हुए कमेटी के कार्य का दायरा उत्तर प्रदेश के अन्य बिजलीघरों व खनन क्षेत्रों तक बढ़ाते हुए प्रदूषण नियंत्रण के लिए इसी प्रकार कदम उठाने को मंजूरी दी है।

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एडब्ल्यूआरएस तथा ईएसपी प्रणाली को पाया दुरूस्त

ओवरसाइट कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बिजलीघरों के एडब्ल्यूआरएस तथा ईएसपी प्रणाली को कार्यरत बताया है। ऑन लाइन इमेसन मानीटरिंग सिस्टम (ओसीईएमएस) को भी सीपीसीबी और यूपीपीसीबी सर्वर से जुड़ा बताया गया। तीन सीएएक्यूएमएस भी लगा दिये गये हैं जिनसे लगातार प्रदूषण की स्थिति से अवगत किया जा रहा है। कुछ बिजलीघरों के ऐशपाण्ड से ओवरफ्लो रिहन्द जलाशय में अवैध रूप से गिराने की जानकारी दी गयी है। इसके लिए तत्काल राख का इस्तेमाल ईंटों एवं अन्य उत्पादों में कड़ाई से सुनिश्चित कराने व अन्य सुझाव दिये गये हैं। राख के इस्तेमाल के लिए गोरबी खदान में विन्ध्याचल विद्युतगृह की राख भरने का दो दिन पूर्व ही समझौता ज्ञापन भी हस्ताक्षरित किया जा चुका है।

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स्थानीय जनता को मिलेगी राहत

याचिकाकर्ता अधिवक्ता अश्वनी कुमार दुबे ने बताया कि रिहन्द जलाशय के बढ़ते प्रदूषण के साथ ही ऊर्जान्चल के पर्यावरण पर पड़ रहे गम्भीर दुष्प्रभाव पर सार्थक रोक लगने की उम्मीद है। ओवरसाइट कमेटी ने प्रथम चरण में पेयजल आपूर्ति से लेकर सड़क से कोल परिवहन पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए समयबद्ध अनुपालन के निर्देश दिये हैं जिससे पहली बार उम्मीद जगी है कि स्थानीय लोगों को राहत मिल सकती है।

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