संतों की सेवा से पापियों का उद्धार भी संभव
घोरावल। संतों की सेवा से क्या संभव नहीं, बड़े से बड़े पापी का भी उद्धार
घोरावल। संतों की सेवा से क्या संभव नहीं, बड़े से बड़े पापी का भी उद्धार संभव है। उक्त बातें घोरावल नगर में चल रही श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ कथा के तीसरे दिन गुरुवार शाम व्यासपीठ से प्रवचन करते हुए वृंदावन से पधारे स्वामी ब्रजराज दास ने व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सत्संगति से व्यक्ति का उद्धार संभव है।.नारद मुनि एक अवतार में सामान्य विधवा ब्राह्मणी के पुत्र थे। उनके घर एक बार कुछ संतों ने आकर चातुर्मास व्यतीत किया। संतों की संगत से नारद को ब्रह्मर्षि का ज्ञान प्राप्त हो गया और उनके अज्ञान दूर हुए। स्वामी जी ने तीसरे दिन की कथा में भगवान के 24 अवतारों की कथा , बुआ कुंती से वासुदेव की भेंट की कथा का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि मानव जीवन बहुत मुश्किल से प्राप्त होता है. लोभ और मोह व्यक्ति के पतन का कारण होते हैं। आदमी को जो भी समय मिले ईश्वर के ध्यान और भक्ति में अवश्य देनी चाहिए तभी व्यक्ति का मन निर्मल होता है और प्रभु को निर्मल मन ही सर्वाधिक पसंद है। ज्ञान यज्ञ में रमेश चंद पांडे, कन्हैयालाल सेठ,अशोक कुमार अग्रहरी, राजकुमार बाबा, उदित लाल अग्रहरी, कैलाश प्रसाद ,अशोक कुमार, कृष्ण कुमार किसानू, बिपिन बिहारी मौजूद रहे।
