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बिजलीघरों में कोयला किल्लत से बिजली व्यवस्था चरमराई

बिजलीघरों में कोयला किल्लत से सूबे की बिजली व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। चालू साल की सर्वाधिक 21 मिलियन यूनिट से ज्यादा की आपतकालीन कटौती कर सिस्टम कंट्रोल को हालात सम्भालने पड़े हैं। पीक आवर्स में...

बिजलीघरों में कोयला किल्लत से बिजली व्यवस्था चरमराई
हिन्दुस्तान टीम,सोनभद्रThu, 12 Sep 2019 09:40 PM
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बिजलीघरों में कोयला किल्लत से सूबे की बिजली व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। चालू साल की सर्वाधिक 21 मिलियन यूनिट से ज्यादा की आपतकालीन कटौती कर सिस्टम कंट्रोल को हालात सम्भालने पड़े हैं। पीक आवर्स में बीते 24 घंटों के दौरान 3250 मेगावाट की बिजली कटौती से प्रदेश को जूझना पड़ा है। यूपी स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर ने हालांकि शुक्रवार तक कई बंद इकाइयां चालू हो जाने से हालात में सुधार की सम्भावना जताई है।

बिजली की मांग बीते 24 घंटों के दौरान 464 मिलियन यूनिट से अधिक दर्ज की गई। 19 मिलियन यूनिट की रोस्टरिंग के बावजूद तमाम स्रोतों से बिजली की उपलब्धता महज 424 मिलियन यूनिट तक ही पहुंच सकी। नतीजतन दिनभर भारी बिजली कटौती से लोगों को जूझना पड़ा। पीकआवर्स में भी बिजली की मांग 21148 मेगावाट तक जा पहुंची जिसके कारण निजी बिजलीघरों की बेहद महंगी बिजली के साथ ही ग्रिड से ओवर ड्राल और एनर्जी एक्सचेंज से बिजली खरीदने पर भी भारी आपातकालीन कटौती की गयी।

इन बंद मशीनों से आज उत्पादन की उम्मीद

अनपरा डी की दस सितम्बर से बंद 500 मेगावाट की सातवीं इकाई, ओबरा की जेनरेटर ब्रेकर लीकेज से 200 मेगावाट की बंद दसवीं इकाई, मेजा बिजलीघर की छ: सितम्बर से ब्वायल ट्यूब लिकेज से बंद 660 मेगावाट की पहली इकाई, टांडा बिजलीघर की 110 मेगावाट की दूसरी इकाई से शुक्रवार तक बिजली उत्पादन शुरू होने की सम्भावना जतायी गई है। इन इकाइयों से उत्पादन के बाद उम्मीद है कि भारी बिजली किल्लत से काफी निजात मिल सकेगी।

इन बिजलीघरों की कोयला किल्लत पड़ रही भारी

निजी क्षेत्र के सर्वाधिक सस्ती बिजली देने वाले 12सौ मेगावाट के लैंकों के अनपरा सी में अभी भी आधा उत्पादन हो रहा है। इसके बावजूद बिजलीघर में बुधवार तक महज 45 हजार टन ही कोयला शेष रहा। 1980 मेगावाट के एलपीजीसीएल ललितपुर में भी बुधवार तक 46 हजार टन ही कोयला शेष है। नतीजतन तीनों इकाइयों से लगभग 55 प्रतिशत ही उत्पादन हो पा रहा है। 1980 मेगावाट के प्रयागराज बारा में भी लगभग 44 हजार टन कोयला शेष है और यहां भी रोजाना महज 55 प्रतिशत उत्पादन मिल रहा है। रिलायंस के रोजा में 17 हजार टन कोयला बचा है और यहां भी कोयला किल्लत से उत्पादन ठप हो सकता है।

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