नारद मोह लीला का मंचन देख दर्षक हुए हर्षित
Sonbhadra News - बभनी, हिन्दुस्तान संवाद। क्षेत्र के असनहर ग्रामीण नवयुवक रामलीला और दुर्गा पूजा समिति की

बभनी, हिन्दुस्तान संवाद। क्षेत्र के असनहर ग्रामीण नवयुवक रामलीला और दुर्गा पूजा समिति की तरफ से आयोजित रामलीला का शुभारंभ शनिवार की शाम किया गया। नारद मोह लीला के साथ रामलीला की शुरूआत हुई। रामलीला का समाजसेवी डा. व्यास चन्द्र विश्वकर्मा, प्रभारी निरीक्षक कमलेश पाल ने फीता काट विधि विधान से मुकुट पूजन कर शुभारंभ किया। असनहर में ग्रामीण नवयुवक रामलीला मंडली ग्राम असनहर के कलाकारों ने नारद मोह लीला का सजीव मंचन किया। जिसे देख दर्शक हर्षित हो उठे। मंचन में कलाकारों ने दिखाया कि भगवान नारद जी तपस्या करने बैठ जाते हैं। उनकी घोर तपस्या से राजा इंद्र का सिंघासन हिलने लगता है।
तब उनकी चिंता सताने लगती है। इंद्रदेव नारद जी की तपस्या की भंग करने के लिए सुंदर अप्सराओं को भेजते हैं, लेकिन वह नारद की तपस्या को भंग नही कर पाती हैं। लीला में वह कामदेव को नारद की तपस्या भंग करने के भेजते हैं, पर कामदेव भी हर प्रकार का जतन करने के बाद भी तपस्या को भंग नही कर पाते हैं। तब नारद जी को इसी बात का घमंड हो जाता है। नारद के इस घमंड को चूर करने के लिए भगवान विष्णु शीलनगरी का निर्माण करते है और उसके राजा शीलनिधि को बनाते हैं। उनकी पुत्री के विवाह का आयोजन कराते हैं। नारद जी भी वहां पहुंचते हैं। नारद भगवान विष्णु के पास पहुंच कर कहते हैं प्रभु एक दिन के लिए आप मुझे हरि का स्वरूप दे दो। भगवान विष्णु नारद के घमंड को चूर करने के लिए हरि अथार्त वानर का स्वरूप दे देते हैं। नारद जी जब उसी स्वरूप के साथ शीलनगरी पहुंचते ही तब वहां उनका उपहास उड़ाया जाता है, तब नारद जी वापस आ जाते हैं। इस प्रकार भगवान विष्णु नारद जी का घमंड चूर कर देते हैं। श्रीराम के जयकारे से पंडाल गूंज पड़ा। समिति की तरफ से सभी अतिथियों को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर संरक्षक एडवोकेट पवन कुमार दुबे, अध्यक्ष रत्नेश कुशवाहा, कोषाध्यक्ष अमर देव पांडेय, सूर्यकांत दुबे, मुकेश कुशवाहा, मेहीलाल, संतोष, प्रदीप कुशवाहा आदि रहे।
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