श्रीकृष्ण एवं देवी रुक्मिणी के विवाह की कथा का किया वर्णन
Sonbhadra News - घोरावल में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन श्रोताओं की भीड़ उमड़ पड़ी। कथावाचक ब्रजरस दास जी महाराज ने श्रीकृष्ण और देवी रुक्मिणी के विवाह की कथा सुनाई। उन्होंने गृहस्थ आश्रम के महत्व का वर्णन...

घोरावल। हिन्दुस्तान संवाद स्थानीय नगर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा प्रेम भक्ति ज्ञान यज्ञ में सातवें दिन श्रोताओं की भीड़ उमड़ पड़ी। व्यास पीठ की पूजा आरती के बाद वृंदावन से आए कथावाचक श्रीब्रजरस दास जी महाराज ने श्रीकृष्ण एवं देवी रुक्मिणी के विवाह की कथा सुनाई। उन्होंने गृहस्थ आश्रम का वर्णन करते हुए श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।
गृहस्थ आश्रम की महिमा व महत्व का वर्णन करते हुए ब्रजरस दास ने कहा की भगवान वासुदेव श्रीकृष्ण ने गीता में स्वयं कहा है कि धन्यों गृहस्थ आश्रम: अर्थात गृहस्थ आश्रम धन्य है, जो सभी आश्रमों का आधार है। ब्रह्मचर्य, वानप्रस्थ और सन्यास आश्रम अपने आवश्यकताओं की पूर्ति एवं पोषण के लिए गृहस्थ आश्रम पर आश्रित होते हैं। निराकार परमात्मा जब धरती आकार धारण कर धरा पर अवतरित होते हैं, तब वह भी मनुष्य की तरह गृहस्थ धर्म का पालन करते हैं। मानव रूप में ईश्वर का भी गृहस्थों की तरह अग्निहोत्र, देवयज्ञ, गायत्री होम, संध्या वंदन, विवाह इत्यादि संस्कार किया जाता है। कथावाचक ब्रजरस दास ने भगवान श्रीकृष्ण एवं देवी रुक्मिणी के प्रेम, रुक्मिणी के स्वयंवर, श्रीकृष्ण द्वारा रुक्मिणी के अपहरण और फिर दोनों के परिणय सूत्र में बंधकर गृहस्थ आश्रम में प्रवेश करने की कथा का बड़ा ही सुंदर वर्णन एवं विश्लेषण किया। पंडाल में श्रीकृष्ण एवं रुक्मिणी के विवाह का उत्सव भी मनाया गया। कथा के बाद भंडारे में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। इस मौके पर विधायक डॉ अनिल कुमार मौर्या, पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष राकेश कुमार, राजेश कुमार बबलू, व्यापार मंडल अध्यक्ष दयाशंकर गुप्ता, विधायक प्रतिनिधि सुरेंद्र मौर्या, अरुण कुमार पांडेय, लवकुश केशरी, रमेश पांडेय, बाबूलाल शर्मा, अशोक उमर, कार्यक्रम संयोजक अशोक अग्रहरि आदि मौजूद रहे।
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