पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में लगातार दूसरे चरण के कार्यक्रम के तहत गुरुवार को भी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले अधिकारियों व कर्मचारियों ने ओबरा में विरोध सभा की। इस दौरान प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। उन्होंने निजीकरण को जन विरोधी के साथ साथ कर्मचारी विरोधी भी बताया। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा विगत 20 सितंबर को राज्यों को प्रेषित किए गए स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्युमेंट विद्युत वितरण कंपनियों के सम्पूर्ण निजीकरण का दस्तावेज है। दस्तावेज के ट्रांसफर स्कीम में साफ लिखा है कि बिजली के निजीकरण के बाद कर्मचारी निजी कंपनी के कर्मचारी हो जाएंगे और सरकारी डिस्कॉम कर्मचारियों की सेवान्त सुविधाओं जैसे पेंशन, ग्रेच्युटी आदि का उत्तरदायित्व केवल उसी दिन तक लेगी जिस दिन तक वे सरकारी डिस्कॉम के कर्मचारी हैं। निजीकरण होते ही सरकारी डिस्कॉम का कोई दायित्व नहीं रहेगा। निजी कंपनी के नियमों व सेवाशर्तों के अनुसार कर्मचारियों को कार्य करना होगा। सबसे भयावह उदाहरण उड़ीसा का है जहां हाल ही में एक जून को टाटा पावर ने सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी यूटिलिटी का अधिग्रहण किया है। टाटा पावर ने उड़ीसा के विद्युत नियामक आयोग लिखित तौर पर बता दिया है कि टाटा पावर कर्मचारियों के मामले में उनकी पूर्व शर्तों को स्वीकार नहीं करता और टाटा पावर की शर्तों पर कर्मचारियों को काम करना होगा अन्यथा उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। वक्ताओं ने लोंगों से इस चुनौती से लड़ने के लिए करो या मरो की भावना के साथ ऐतिहासिक संघर्ष करने का आह्वाहन किया। अध्यक्षता ई. अदालत वर्मा ने तथा संचालन दीपक सिंह ने किया। इस मौके पर इं.अभय प्रताप सिंह, उमेश कुमार, दिनेश सिंह, रामयज्ञ मौर्य, लालता प्रसाद तिवारी, इं.आरके सिंह, इं.अंकित प्रकाश, इं.कल्याण सिंह, इं.उमेश सिंह राणा, शशिकांत श्रीवास्तव, मनीष सिंह यादव, उमेश चंद, सतीश कुमार, शाहिद अख्तर, दिनेश यादव, रमेश राय, कुमार, कमलेश, कैलाश नाथ, सुनील ठाकुर, अवधेश मिश्रा, अशोक यादव श्रीकांत गुप्ता, गौरी शंकर मंडल, दीपू गोपीनाथन आदि मौजूद रहे।
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