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गंदगी छोड़िए साहब! यहां तो सड़क पर बिछ रही चारपाई

सीतापुर। दो दिन हुई बारिश ने अव्यवस्थाओं की पोल खोल दी। घनी आबादी में

गंदगी छोड़िए साहब! यहां तो सड़क पर बिछ रही चारपाई
हिन्दुस्तान टीम,सीतापुरSun, 19 Sep 2021 03:01 AM
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सीतापुर। दो दिन हुई बारिश ने अव्यवस्थाओं की पोल खोल दी। घनी आबादी में दुश्वारियां बढ़ चली हैं। दस हजार से अधिक परिवारों का ऐसा ही हाल है। आलम ये हो गया है कि गंदगी के बाद अब संक्रमण से बचने के लिए लोग घर से निकलकर सड़कों पर चारपाई डाल रहे हैं।

हम बात कर रहे हैं शहर के एक छोर पर स्थापित कांशीराम कालोनी की। कालोनी में रहने वाले करीब दस हजार परिवार कहीं न कहीं से मेहनत कर अपने परिवार के लिए दो वख्त की रोटी का जुगाड़ कर पा रहा है। निर्धनों की कालोनी में कहने के लिए तो सारी सुविधाएं है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। शनिवार को कांशीराम कालोनी पहुंची हिन्दुस्तान टीम ने जब कालोनी का हाल जानना चाहा तो खाट पर बैठी बुजुर्ग वृद्धा सावित्री बोल पड़ीं, कहती हैं कि गंदगी छोड़ो भईया यहां तो दो दिन से सड़क पर खटिया बिछा कर सो रहे हैं। बारिश होते ही बिजली गायब हो गई। ये समस्या यहां तो अक्सर हो जाती है। लेकिन तीन दिनों से गंभीर है। जयदेवी, शुभकरण, रामरति कहती हैं कि शुक्रवार रात तो लोगों ने रात जाग कर ही बिताई क्योंकि कालोनी में गंदगी की वजह से काफी मच्छर हो गए हैं। मौके पर मौजूद उर्मिला, गुड्डी और पप्पू का दावा था कि परिवारों को मिलने वाली सुविधाओं में राशन, गैस, मजदूरी भत्ता, वृद्धा पेंशन जैसी कोई भी सुविधा का लाभ कई पात्रों को नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में आजीविका पर संकट आन खड़ा है। कुंती, रूपरानी, रूपेश आदि आदि लोग मिले, इन्होंने बताया कि साल भर से कोई राशन कार्ड के लिए दौड़ रहा है तो कोई मुआवजे को लेकर। कई ऐसे भी हैं जिन्होंने नगर पालिका में पंजीयन कराया था लेकिन श्रमिक भत्ते के रूप में कुछ भी नहीं मिल सका।

कॉलोनी का पार्क बना कूड़े का ढेर

कांशीराम कालोनी के पार्क की शोभा इस समय कूडे़ का ढेर बढ़ा रहा है। पड़ोस से गुजर रहे एक व्यक्ति से पार्क में पसरी गंदगी और कूड़े के ढेर के बारे में पूछा तो कॉलोनी वासी दिनेश ने बेझिझक होकर कहा कि कूड़े का ढेर किसी लोगों ने नहीं लगाया है। बल्कि सफाईकर्मी ही इकट्ठा करके चले गए हैं। कहकर ये गए थे कि कूड़ा वेन आकर इसे उठा ले जाएगा, लेकिन समय बीतने के बाद भी यह लगा हुआ है। इसी कूड़े में मवेशी पन्नियां खाते नजर आ रहे थे।

आधे से ज्यादा नल हैं खराब

कॉलोनी में लगे नल अधिकतर खराब हैं। ऐसे में लोगों को पानी के लिए दूरी भी तय करनी पड़ रही है। राजू का कहना है कि कॉलोनी के अधिकतकर नलों से तो दूषित पानी आ रहा है। जो पीने योग्य नही है। कालोनी में स्थापित पानी की टंकिया बिजली के अभाव में शोपीस बन गई है। ऐसे में बाहर जाकर नलों का सहारा लेना पड़ रहा है।

टूटी नालियों से सड़क पर गंदा पानी

ब्लाक के बाहर बनी नालियां टूटी हुई है। जिसकी वजह से नाली का गंदा पानी सड़क पर भर जाता है। इसी गंदे पानी में काफी मच्छर उत्पन्न हो रहे हैं। कालोनी में लगभग हर घर में कोई न कोई बुखार से पीड़ित मिल जाएगा। नीरज का कहना है कि जिम्मेदारों को चाहिए कि कालोनी में अभियान चलाकर सफाई करायी जाए और फिर दवा का छिड़काव करवाएं।

दो दिन में बदल गई दिनचर्या

ट्राय साइकल से घर के लिए पानी भरकर ला रहे दीपू बताते हैं कि उनकी बीते दो दिन में उनकी दिनचर्या बदल गई है। पानी जैसी जरूरी चीज के लिए भी नल पर लाइन लगानी पड़ रही है। मजदूरी करने वाले लोग लाइट का इंतजार कहां कर पाएंगे। दो दिन से वह बाल्टी लेकर नल पर पहुंच जाते हैं। नम्बर आने पर पानी लेकर घर आते हैं। तब जाकर खाना बन पाता है।

एक साल से दौड़ने के बाद भी राशन कार्ड नहीं बना

कॉलोनी वासी कोमल बताती हैं कि वो पिछले लॉकडाउन से राशन कार्ड के लिए दौड़ भाग कर रही है। लेकिन उनका राशन कार्ड समय बीत जाने के बाद भी नहीं बन पा रहा है। हर बार यही कहा जाता है कि एक सप्ताह बाद आना। उन्होंने बताया कि जिला पूर्ति कार्यालय में कम से कम दस बार प्रार्थना पत्र दिए जा चुके हैं, लेकिन समस्या का हल नहीं निकल सका है। बताया कि बिगड़े हालातों में अगर राशन कार्ड मिल जाए, तो निश्चित तौर पर खाद्यान्न की समस्या हल हो सकती है।

चार बेटियों की रोटी के लिए दिन भर चल रहा रिक्शा

रिक्शा चालक मुनव्वर ने बताया कि उनकी पत्नी का कुछ दिनों पहले लखनऊ में इलाज के दौरान देहांत हो गया था। जो पैसे थे वो इलाज में खर्च हो गए। कर्जा अलग से हो गया है। ऐसे में चार बेटियां व खुद का पेट पालने के लिए दिन रात रिक्शा चलाकर दो वख्त की रोटी का जुगाड़ कर पाते हैं। किसी तरह की कोई सरकारी सहायता नही मिली है। बताया कि उनके पास न तो गैस कनेक्शन है और न ही राशन कार्ड। बताया कि मजदूरी भत्ता उन्हें कभी नहीं मिला। मुनव्वर का कहना है कि सरकारी लाभ लेने के लिए उन्होंने दौड़भाग के दौरान काफी पैसा खर्च किया लेकिन उन्हें कोई भी लाभ नहीं मिला।

कमरे में पानी भरा तो खुद ही सफाई कर डाली

लक्ष्मी बताती हैं कि उनका आवास नीचे के कमरों में है। बारिश के दौरान नालियां चोक हो जाने के कारण उनके कमरे में गंदा पानी भर गया था। ऐसे में बारिश में ही उन्होंने खुद से फावड़ा व झाड़ू उठाकर सफाई कर डाली तब जाकर कमरे से गंदा पानी निकाल पाई। उन्होंने बताया कि एक तो इतनी बड़ी कालोनी ऊपर से गिने चुने सफाईकर्मी कहां तक सफाई कर पाएंगे। अगर हिम्मत करके कह भी दो, तो उनका सीधा जवाब रहता है कि कल कर देंगे।

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