आसाढ़ खत्म होने को, 25 फीसदी भी नहीं हो पाई धान की रोपाई
सीतापुर। मानसून का हाल ठीक नहीं चल रहा है। औषत से बहुत ही कम बारिश

सीतापुर। मानसून का हाल ठीक नहीं चल रहा है। औषत से बहुत ही कम बारिश हुई है। मानसून का हाल देख किसानों ने भी धान रोपाई से हाथ खींच लिए हैं। अभी तक लक्ष्य के सापेक्ष 25 प्रतिशत भी धान की रोपाई नहीं हो पाई है। कृषि वैज्ञानिकों ने धान की जगह तलहनी, तेलहनी और मोटे अनाजों की खेती करने का सुझाव दिया है।
मानसूनी बारिश जुलाई महीने में मानक से कम हुई है। अगर यही हाल आगे भी रहा तो खरीफ फसलों की बढ़ी लागत किसानों के लिए मुसीबत बढ़ाएगी। मानसून की बेरुखी का असर धान की फसल पर दिखने लगा है। जिन किसनों ने महंगी सिंचाई करके धान की रोपई कर दी है उनकी फसल सूखने लगी है। किसानों को फसल बचाने में पैसा पानी की तरह बहाना बह रहा है। कृषि विज्ञान केन्द्र कटिया के वैज्ञानिकों का कहना है कि धान की पौध मई के अंत से व जून के मध्य में डालते हैं। जुलाई में धान की रोपाई का कार्य अपने चरम पर रहता है। इस वर्ष वर्षा कम होने से बहुत से किसान धान की पौध नहीं डाल पाए हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि जिस वर्ष मई जून माह में वर्षा अच्छी हो जाती है, तो कृषक ऐसा समझते हैं कि जुलाई से अक्टूबर तक भी वर्षा अच्छी होगी। उसी अनुसार वह यह तय करते हैं कि धान का क्षेत्रफल कितना रखना है। धान का क्षेत्रफल कम होते देखकर किसान अरहर, मूंग, उर्द जैसी दलहनी व तिल व मूंगफली जैसी तिलहन फसल की बुवाई पर ध्यान दें।
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ड्रम सीडर से करें धान की बिजाई
कृषि विज्ञान कटिया के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. दयाशंकर सिंह कहते हैं कि जो किसान बारिश न होने के चलते नर्सरी नहीं तैयार कर पाएं और धान की फसल लेना चाहते हैं, उन्हें अब ड्रम सीडर से बिजाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ड्रम सीडर से बिजाई करने पर पौधरोपण की तरह लाइन बन जाती हैं। इससे फसल की देख भाल करने सहूलियत मिलती है। उन्होंने कहा कि किसान 90 -100 दिन की अवधि वाली धान की प्रजातियों का ही चयन करें।
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किसानों की कमर तोड़े दे रही गन्ना की सिंचाई
बारिश न होने के चलते किसान दोहरी समस्या में पड़ गए हैं। एक तो वह धान की रोपाई नहीं कर पा रहे हैं, दूसरे गन्ना की सिंचाई में उनकी कमर टूटी जा रही है। आलम ऐसा है कि हर सप्ताह गन्ना की सिंचाई करनी पड़ रही है। बिजली साथ नहीं दे रही है। पम्मप सेट से सिंचाई करने पर परी बीघा तीन सौ रुपए के करीब खर्चा आ रहा है। मछरेहटा क्षेत्र के किसान अखिलेश ने कहा कि क्या कहा जाए बारिश बिना काहे की खेती।
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अभी दस दिनों तक और किसान धान की रोपाई कर सकते हैं। धान की उपज में कमी नहीं आएगी। किसान रोपाई करने में पौधों की संख्या बढ़ा दे। इससे फसल की खाभ प्रभावित नहीं होने पाएगी। मंजीत कुमार जिला कृषि अधिकारी
