कला और संस्कृति को जीवंत रखने में संस्कार भारती की भूमिका अहम
13 एसआईडीडी 04: शहर के थरौली स्थित संस्कार भारती के कार्यालय पर प्रांतीय बैठक को संबोधित करते सह क्षेत्र प्रमुख...

सिद्धार्थनगर। निज संवाददाता
संस्कार भारती, भारतीय संस्कृति की कला एवं साहित्य की अखिल भारतीय संस्था के रूप में काम करती है। उसके महत्व को समाज में जीवंत रखने के लिए सार्थक प्रयत्न करती रहती है। कला और संस्कृति को जीवंत रखने के लिए अनुशासन का होना अति आवश्यक है। देशभर में संस्कार भारती की 1200 से अधिक इकाइयां कार्य कर रही हैं। ये बातें संस्कार भारती के सह क्षेत्र प्रमुख वीरेंद्र कुमार ने रविवार को शहर के थरौली स्थित संगठन कार्यालय पर आयोजित गोरक्ष क्षेत्र की प्रांतीय बैठक में कहीं।
प्रांत अध्यक्ष डॉ. मिथिलेश तिवारी ने कहा कि भारतीय संस्कृति के उत्कृष्ट मूल्यों की प्रतिष्ठा करने की दृष्टि से राष्ट्रीय गीत प्रतियोगिता, कृष्ण रूप-सज्जा प्रतियोगिता, राष्ट्रभावना जगाने वाले नुक्कड़ नाटक, नृत्य, रंगोली, मेंहदी, चित्रकला, काव्य-यात्रा, स्थान-स्थान पर राष्ट्रीय कवि सम्मेलन आदि बहुविध कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। समाज के विभिन्न वर्गों में कला के माध्यम से राष्ट्रभक्ति एवं योग्य संस्कार जगाने, विभिन्न कलाओं का प्रशिक्षण व नवोदित कलाकारों को प्रोत्साहन देकर इनके माध्यम से सांस्कृतिक प्रदूषण रोकने के उद्देश्य से संस्कार भारती कार्य कर रही है। बैठक में संस्कार भारती की ओर से किए जा रहे प्रयत्नों एवं पूर्व में किए गए कार्यों की जनपदवार समीक्षा हुई और आगामी कार्यक्रमों की रूपरेखा प्रस्तुतीकरण सहित अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई। इससे पहले संस्कार भारती के नवीन कार्यालय का उद्घाटन भी हुआ। बैठक में हरी प्रसाद सिंह, डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव, रीता श्रीवास्तव, जितेंद्र श्रीवास्तव, पवन जायसवाल, अरुण त्रिपाठी, शंभूनाथ गुप्त, डॉ.भारत भूषण, राणा प्रताप सिंह, अरुण प्रजापति, डॉ. आशीष श्रीवास्तव, डॉ. चारुशिला सिंह, कन्हैया श्रीवास्तव, डॉ. नवीन श्रीवास्तव, रीना जायसवाल, अंजू चौहान, नितेश पांडेय, शिवकुमार कसौधन आदि मौजूद रहे।
