आलू की फसल के लिए संवेदनशील है समय, खेतों में बनाएं रखें नमी
Siddhart-nagar News - सोहना के कृषि वैज्ञानिक डॉ. प्रवीण कुमार मिश्र ने किसानों को आलू की फसल की सुरक्षा के लिए सतर्क रहने की सलाह दी है। उन्होंने झुलसा रोग से बचाव के लिए फफूंदनाशक दवा के छिड़काव की प्रक्रिया समझाई। साथ...

सोहना, हिन्दुस्तान संवाद। यह समय आलू की फसल के लिए बहुत संवेदनशील होता है। इसलिए किसानों को इस समय विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है। कोहरा या पाला पड़ने पर आलू की फसल झुलसा रोग से प्रभावित हो सकती है। ऐसे में खेत में पर्याप्त नमी बनाएं रखें। ये बातें कृषि विज्ञान केंद्र सोहना के कृषि वैज्ञानिक डॉ.प्रवीण कुमार मिश्र ने कहीं। उन्होंने कहा कि आलू की फसल को पिछेती झुलसा रोग से बचाव के लिए 20 जनवरी तक 10 दिन के अंतराल पर फफूंदनाशक दवा का छिड़काव करें। प्रथम छिड़काव में मैनकोजेब 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी, दूसरे छिड़काव में कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 फीसदी डब्ल्यूपी व तीसरे छिड़काव में मेटालैक्सिल चार फीसदी व मैनकोज़ेब 64 फीसदी दवा की 2.5 ग्राम/लीटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करें। मध्य जनवरी के आसपास लाही या माहू कीट लगने का समय हो जाता है इसलिए यदि लाही का प्रकोप दिखे तो डाइमेथोएट 30 ईसी या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एसएल की एक मिली दवा प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। ऐसा करने से फसल की सुरक्षा के साथ उपज भी अच्छी मिलेगी।
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