बुद्ध की धरती पर शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़ा का मामला आए दिन सामने आ रहा है। यहां पर पत्नी ही फर्जी दस्तावेज पर नौकरी नहीं कर रही थी बल्कि उसका पति व देवर भी दूसरे के प्रमाणपत्र पर शिक्षक बन कर बैठ गए थे। पत्नी के खिलाफ गुरुवार को जोगिया कोतवाली में केस दर्ज हुआ जबकि पति व देवर के खिलाफ मार्च में ही एफआईआर हो गई थी।
जोगिया कोतवाली क्षेत्र के ककरही में1997 से साधना देवी परिषदीय विद्यालय में नौकरी कर रही थी। उन्हें फर्जी दस्तावेज के आधार पर 2005 में बर्खास्त कर दिया गया था। इसके बाद वह न्यायालय चली गई और बहाली के साथ समस्त देयों का भुगतान कराने का आदेश लाकर फिर से नौकरी करने लगी। बीएसए राम सिंह ने फिर से अभिलेखों की जांच करानी शुरू की तो मामला फिर से फर्जी दस्तावेज के आधार पर नौकरी करने का सामने आया। दरअसल साधना देवी का असली नाम चंदा देवी पत्नी त्रिवेणी तिवारी निवासी धनुवापार जिला देवरिया है। उसने कूटरचित तरीके से बलिया की रहने वाली साधना राय जो खुद शिक्षिका हैं के शैक्षिक प्रमाणपत्र निकाल कर 1997 में सिद्धार्थनगर में नौकरी हासिल कर ली थी।
इतना ही नहीं उसका पति त्रिवेणी तिवारी, अवधेश तिवारी बन कर उनके दस्तावेज पर जिले के इटवा व देवर जोगश्वर, विजय तिवारी के दस्तावेज पर खुनियांव मंे शिक्षक की नौकरी हथिया लिया था। बीएसए राम सिंह का कहना है कि उन्होंने सिद्धार्थनगर में ज्वाइनिंग के बाद जांच कराई तो तीनों (पति, पत्नी व देवर) दूसरे के नाम पर कूटरचित दस्तावेज पर नौकरी करते मिले। साधना देवी के खिलाफ गुरुवार को एबीएसए बर्डपुर धीरज त्रिपाठी को भेज कर धारा 419, 420 के तहत जोगिया कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई गई। साधना देवी के पति त्रिवेणी तिवारी जो अवधेश तिवारी के नाम पर व देवर जागेश्वर जो विजय तिवारी के नाम पर नौकरी कर रहा था मार्च में ही एफआईआर करा दी गई थी।
जांच में न पकड़ी गई होती तो ले लेती 65 लाख का भुगतान
चंदा देवी जो कि साधना राय के दस्तावेज पर साधना देवी बन कर परिषदीय विद्यालय में सहायक अध्यापक की नौकरी कर रही थी। 2005 में बर्खास्त होने के बाद वह न्यायालय चली गई थी जहां से न्यायालय ने फरवरी 2019 में बहाली का आदेश देते हुए समस्त भुगतान करने का भी विभाग को आदेश दिया था। समस्त भुगतान लगभग 65 लाख रुपये का बन रहा था। अगर उसके अभिलेखों की दोबारा जांच नहीं हुई होती और मामला पकड़ में नहीं आता तो वह विभाग को 65 लाख रुपये का चूना लगाने में कामयाब हो गई होती।