धान की पराली को जलाएं नहीं खेतों में सड़ा कर बनाएं खाद
21: एसआईडीडी 24: केवीके सोहना के परिक्षेत्र स्थित अल्लापुर गांव में मंगलवार को फसल अवशेष प्रबंधन जागरूकता कैंप का आयोजन किया...
सोहना। हिन्दुस्तान संवाद
कृषि विज्ञान केंद्र सोहना के परिक्षेत्र में स्थित अल्लापुर गांव में मंगलवार को ग्रामीण स्तरीय फसल अवशेष प्रबंधन जागरूकता कैंप का आयोजन किया गया। कृषि वैज्ञानिकों ने फसल अवशेष प्रबंधन से जुड़े कई पहलुओं पर किसानों को जानकारियां दी। वैज्ञानिकों ने कहा कि धान की पराली को जलाएं नहीं खेतों में सड़ाकर उसकी खाद बनाएं। इससे आगामी फसलों को लाभ मिलेगा।
कृषि वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप कुमार ने बताया कि अवशेष जलाने से पोषक तत्वों का नुकसान व मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। पशुओं के चारे पर भी संकट खड़ा हो जाता है। ऐसे में अवशेषों को पशुचारा अथवा औद्योगिक उपयोग के लिए इकट्ठा करें। कृ़षि वैज्ञानिक डॉ. एसएन सिंह ने बताया कि किसी भी दृष्टिकोण से फसल अवशेषों को जलाना उचित नहीं है। ऐसे में किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के इस विकल्प पर अमल करने की जरूरत है। डॉ. मार्कंडेय सिंह ने कहा कि संरक्षण कृषि प्रणाली का अंगीकरण व फसल विविधीकरण द्वारा अवशेष जलाने की समस्या से निजात मिल सकती है और पराली को खेत में सड़ा दिया जाए तो उर्वरकों की मात्रा को कम डाल कर भी फसलों का अच्छा प्रोडक्शन किया जा सकता है। प्रेम कुमार ने फसल अवशेषों को मिट्टी में मिश्रित करने पर जोर दिया। इस दौरान प्रगतिशील किसानों ने भविष्य में भी फसल अवशेष को न जलाने के लिए सभी किसान के साथ ही संकल्प लिया। इस दौरान सुंदरी देवी, किरण देवी, बृजेश शुक्ल, अरुण कुमार शुक्ल,राजेन्द्र प्रसाद, राधेश्याम, उदय तिवारी आदि मौजूद रहे।