एक मौत के बाद लोगों में गहराया कोरोना का खौफ
हाल ए गांव धुसवां गांव की आबादी करीब 2200 पाजिटिव केस
हाल ए गांव
धुसवां गांव की आबादी करीब 2200
पाजिटिव केस 12
गंभीर मरीज 3
मौत 1
26 एसआरए पीआईसी 1- गिलौला के धुसवां गांव में बुधवार को बैठे लोग
26 एसआरए पीआईसी 2- पूर्व प्रधान शमशेर
26 एसआरए पीआईसी 3- जगजीवन राम
26 एसआरए पीआईसी 4- अमरेश कुमार
26 एसआरए पीआईसी 5- आलोक कुमार
26 एसआरए पीआईसी 6- बलराम
26 एसआरए पीआईसी 7- संतोष कुमार
फ्लैग- गावों में कोरोना मरीजों की संख्या भले ही कम हो रही हो लोगों के मन में कोरोना का खौफ अभी कम नहीं हुआ है। आलम यह है कि महीनों से लोग बाजार नहीं गए हैं। खेतीबाड़ी या बहतु जरूर काम से ही घर से कोई भी बाहर निकलता दिखता है। जो लोग बाहर रह कर मजदूरी कर रहे थे वे भी दो महीनों से गांव में रह रहे हैं। इससे आर्थिक समस्या हो गई है लेकिन वे गांव से बाहर जाने को तैयार नहीं हैं। कोरोना महामारी को लेकर बुधवार को हिन्दुस्तान ने गिलौला विकास क्षेत्र के धुसवां गांव की पड़ताल की, एक रिपोर्ट-
रतनापुर। संवाददाता
कोरोना महामारी ने लोगों के अंदर भय पैदा कर दिया है। विकास क्षेत्र गिलौला के धुसवां गांव में ग्रामीणों में दहशत फैला है। गांव के लोग पास में स्थित रतनापुर बाजार से जरूरी सामान भी खरीदने के लिए जाने से कतराते हैं। भीड़भाड़ में जाने से बचने के लिए लोग देर सबेर दुकान पर जाकर सामान खरीद कर सीधे घर वापस आ जाते हैं। धुसवां में अब तक एक दर्जन लोग पाजिटिव मिले हैं। इसमें से तीन लोगों की हालत खराब हो होने पर तीनों को कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया। इनमें से ग्राम प्रधान के पुत्र की कोरोना से मौत हो गई। अन्य दोनों मरीज ठीक हो गए।
पिछले साल की अपेक्षा इस बार है हालत खराब
पूर्व प्रधान शमशेर ने बताया कि कोरोना पिछले 14 महीने से लोगों को परेशान कर रहा है। लेकिन इस बार अधिक मौतें हुई हैं। इससे मन में डर बना हुआ है। अब तो बाजार जाने में भी डर लगता है। इसलिए सभी लोगों को सलाह देता हूं कि भीड़ में कतई न जाएं और मास्क जरूर लगाएं। कोरोना होने पर हिम्मत से काम लें। नियमित दवा का सेवन करके स्वस्थ हो जाएंगे।
गांव के युवाओं में भी है दहशत
जगजीवन राम ने बताया कि कोरोना महामारी से गांवों में भी पैर पसार लिया है। गांवों में पाजिटिव मरीजों के मिलने से युवाओं में भी भय फैल गया है। इसके कारण घर से बाहर जाने में डर लगता है। बाजार से सामान खरीदने के लिए जाना मजबूरी है। इसलिए सप्ताह में एक बार बाजार जाकर सामान खरीदता हूं। मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करता हूं और सभी को बताता हूं।
चुनाव के बाद हो चुकी है ग्राम प्रधान पुत्र की मौत
अमरेश कुमार ने बताया कि चुनाव के दौरान बाहर से लोग आए तो कोरोना का भय भी अधिक हो गया। इसी दौरान प्रधान पुत्र भी पाजिटिव हो गए थे और पांच दिन बाद मौत हो गई। इसके बाद पूरे गांव में दहशत फैल गई। कोरोना के केस अब कम हो गए हैं। लेकिन डर नहीं गया है। मांगलिक कार्यक्रमों में भी लोग उत्साहपूर्वक भाग नहीं लेते हैं।
वैक्सीन लगवाने से लोग कतराते हैं
आलोक कुमार ने बताया कि गांव में टीकाकरण कैंप लगाया गया था। लेकिन टीका लगवाने के लिए कम लोग आगे आए हैं। स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में जागरूकता अभियान चला रही है। युवाओं में टीकाकरण कराने की मंशा जगी है। लेकिन अभी तक युवाओं के टीकाकरण की योजना लागू नहीं हुई है। टीकाकरण को लेकर युवाओं में उत्साह है।
घट गई घर में मेहमानों के आने की परम्परा
बलराम ने बताया कि कोरोना ने लोगों के बीच दूरी बढ़ा दी है। लोगों के सामने इसकी मजबूरी भी है। अब घर में मेहमानों के आने की परम्परा घट गई है। जरूरी होने पर लोग आते भी हैं तो सावधान रहते हैं और लौटने की जल्दी में रहते हैं। शादी विवाह में केवल खास खास रिश्तेदार ही आते हैं।
कोरोना की मार ने गरीबों की कमर तोड़ दी
संतोष कुमार ने बताया कि कोरोना की महामारी ने गांव के गरीब लोगों की कमर तोड़ दी है। जो पहले बाहर जाकर कमाई कर लेते थे। वे काफी दिनों से बाहर नहीं गए हैं। गांव में जो छिटपुट काम मिलता है। उसी से परिवार के लिए रोटी का प्रबंध करते हैं। लेकिन कोरोना के डर से बाहर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं। करीब 14 महीने से कोरोना महामारी के कारण गरीबों को खाने की भी समस्या हो गई है।
कोट
गांव में साफ सफाई कराई गई है। दवा का छिड़काव भी कराया गया है। लोगों को मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग अपनाने की सलाह दी जा रही है। वैक्सीनेशन करवाने के लिए भी समझाया जा रहा है।
मालती प्रसाद वर्मा, ग्राम प्रधान