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मोबाइल व कम्प्यूटर अधिक देखने से आंखों को हो सकता है नुकसान

श्रावस्ती। संवाददाता नेत्रदान महादान कहा जाता है। नेत्रदान से दूसरों को देखने का मौका...

मोबाइल व कम्प्यूटर अधिक देखने से आंखों को हो सकता है नुकसान
हिन्दुस्तान टीम,श्रावस्तीFri, 09 Jun 2023 11:25 PM
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श्रावस्ती। संवाददाता

नेत्रदान महादान कहा जाता है। नेत्रदान से दूसरों को देखने का मौका मिलता है। वहीं नेत्रदान करने वाले का भी कोई नुकसान नहीं होता है। लेकिन जिले में नेत्रदान की सुविधा नहीं है। इससे लोगों को मजबूरी में लखनऊ जाना पड़ता है। जिले में नेत्रदान की भी सुविधा नहीं है।

बिना आंखों के दुनिया के दर्शन नहीं होते हैं। इसलिए आंखों की देखभाल जरूरी है। नेत्र चिकित्सक डा फणीन्द्र नाथ त्रिपाठी बताते हैं कि आज के युग में मोबाइल और कम्प्यूटर के बिना काम चलना मुश्किल है। लेकिन मोबाइल, कम्प्यूटर, लैपटाप को लगातार अधिक देर तक काम करने से और टीवी देर तक देखने से आंखों को काफी हद तक नुकसान होता है। इसलिए सभी लोगों को चाहिए कि अनावश्यक रूप से मोबाइल का प्रयोग न करें। कम्प्यूटर के सामने देर तक लगातार न बैठें और जरूरत के मुताबिक ही लैपटाप का प्रयोग करें। इससे आंखें सुरक्षित रहेंगी।

लगातार प्रयोग से क्या होता है नुकसान

डा फणीन्द्र नाथ त्रिपाठी ने बताया कि मोबाइल लगातार देखने से अंधता तो नहीं आती है। लेकिन आंखों में जलन होना, दिखाई कम देना, आंखों में थकान महसूस होना, लगातार पानी आना और धुंधलापन छा जाने की बीमारी होती है। काफी अरसे तक इन बीमारियों के कारण आंखों को स्थायी रूप से नुकसान हो सकता है। इससे चश्मा का पावर भी बढ़ सकता है। इसके साथ ही सिर दर्द भी हो सकता है। वहीं अवसाद की भी बीमारी हो सकती है।

बचाव के लिए क्या करें उपाय

नेत्र रोग विशेषज्ञ डा फणीन्द्र नाथ त्रिपाठी ने बताया कि आंखों की सुरक्षा के लिए बिना जरूरत के मोबाइल फोन को न देखें। मोबाइल की लाइट को आई कंफर्ट मोड में रखें। इसके साथ ही सिर झुकाकर कतई मोबाइल को न देखें। मोबाइल या कम्प्यूटर पर काम करते समय कुछ देर के बाद आंखों के सामने से हटा दें और सुविधानुसार साफ पानी से आंखों को धोएं। पानी की सुविधा न हो तो कुछ दूर तक टहल लें। इसके बाद फिर से काम शुरू करें।

नेत्र दान के लिए पहले से कराया जाता है रजिस्ट्रेशन

डा फणीन्द्र नाथ त्रिपाठी ने बताया कि एक स्वस्थ व्यक्ति ही नेत्रदान कर सकता है। इसके लिए पहले से रजिस्ट्रेशन कराया जाता है। रजिस्ट्रेशन कराने वाले व्यक्ति की मृत्यु के बाद परिजन विभाग को सूचित करते हैं तो नेत्र चिकित्सक मौत के छह घंटे के अंदर उसकी कार्निया जिसे आंख की पुतली कहा जाता है को निकाल कर दवा के साथ रखते हैं। इसके बाद उसे आई बैंक में भेज कर सुरक्षित रखा जाता है। मौत के छह घंटे के बाद निकाली गई पुतली से दिखाई नहीं देगा।

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