मनुष्य जो चाहता है वह नहीं जो देवता चाहते हैं वही होता है-विजय कौशल
प्रसिद्ध कथा वाचक संत विजय कौशल महाराज ने श्रीराम कथा के दूसरे दिन राम, लक्ष्मण और सीता के वन गमन का वर्णन किया। उन्होंने सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र की कथा का मार्मिक चित्रण भी किया, जिससे श्रोताओं की...
प्रसिद्ध कथा वाचक संत विजय कौशल महाराज ने सोमवार को श्रीराम कथा के दूसरे दिन मर्यादा पुरुषोत्तम राम लक्ष्मण और सीता के वन गमन प्रसंग का चित्रण करते हुए सूर्यवंश के सत्यवादी एवं धर्मनिष्ठ सम्राट हरिश्चंद्र की कथा का बड़ा ही मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया। जिसे सुनकर श्रोताओं की आंखें भी नम हो गई। दूसरे दिन की कथा प्रारंभ करते हुए संत विजय कौशल महाराज ने कहा कि राम कथा संशय से समाधान तक की यात्रा का नाम है। राम के जीवन में जो विघ्न उपस्थित हुआ वह हम सब के जीवन में नित्य प्रति उपस्थित होता है। राम ने सारे झंझा वातो में कैसे रास्ता निकाला और कैसे उन पर विजय प्राप्त की यही राम कथा है। उन्होंने कहा की राम ने जो करके दिखाया उसे पर अमल करना चाहिए। राम ने जो कहा उस पर नहीं जबकि श्री कृष्ण ने जो कहा उसे पर अमल करना चाहिए। अयोध्या कांड के प्रसंग में देवताओं द्वारा विघ्न उपस्थित कर राम को 14 वर्ष के लिए वनवास भेजे जाने की घटना पर उन्होंने कहा कि मनुष्य जो चाहता है वह नहीं होता। जो देवता चाहते हैं वह होता है। इसलिए देवताओं को प्रसन्न रखना चाहिए। क्योंकि बड़े लोग सम्मान के भूखे होते हैं। उन्होंने कहा कि राम ने माता कैकेई के कहने पर तुरंत वन जाने का निर्णय ले लिया। इसी दौरान लक्ष्मण और जानकी भी राम के साथ वन जाने के लिए तैयार हो गई। इसी प्रसंग में संत प्रवर ने कहा कि कि जब लक्ष्मण अपनी माता सुमित्रा के भवन में उनसे वन जाने की आज्ञा लेने के लिए पहुंचे तो सुमित्रा ने उनसे कहा कि मैं तो तुम्हारी दैहिक माता हूं, तुम्हारी शाश्वत माता तो जानकी है और पिता रामचंद्र है। यह भारतवर्ष की आदर्श माता का चरित्र है। इसके बाद लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला ने भी उन्हें प्रसन्न मन से वन जाने एवं प्रभु श्री राम व जानकी की सेवा करने को कहा। पत्नी वही है जो पति को पतन से या संकोच से बचा ले।
सुलोचना पाप के साथ और उर्मिला सतीत्व परमात्मा के साथ
शामली।उर्मिला के चरित्र का वर्णन करते हुए विजय कौशल जी महाराज ने कहा की मेघनाथ के साथ हुए युद्ध में लक्ष्मण की विजय के पीछे उर्मिला की तपस्या और तेज कहा था। मेघनाथ उर्मिला की तपस्या के तेज से मारा गया। हालांकि मेघनाथ के पीछे भी उनकी पत्नी सती सुलोचना खड़ी थी लेकिन उर्मिला और सुलोचना में यही अंतर था कि सुलोचना पाप के साथ खड़ी थी और उर्मिला का सतीत्व परमात्मा के साथ खड़ा था।
सत्यवादी एवं धर्मनिष्ट राजा हरिश्चंद्र की कथा का चित्रण
श्री राम कथा को आगे बढ़ते हुए विजय कौशल जी महाराज ने कहा कि राम लक्ष्मण और सीता अवध वासियो को तमसा नदी के किनारे सोते हुए छोड़कर चुपचाप चले गए और सिद्धांत यह है कि भगवान जागृत को मिलते हैं। इसके बाद वे गंगा के किनारे पहुंचे जहां से राम ने सुमंत को जबरदस्ती वापस अयोध्या भेज दिया। इसी प्रसंग में राम के पूर्वजों शिवि, दधीचि, रंतिदेव ,बली आदि के प्रसंग में सत्यवादी एवं धर्मनिष्ट राजा हरिश्चंद्र की कथा का बहुत ही मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया। जिसे सुनकर श्रोताओं की आंखें नम हो गई। तत्पश्चात भगवान श्री राम ने गंगा जी की स्तुति की। गंगा जी भगवान के चरणों से प्रकट हुई है इसलिए वह उनकी बेटी है। आज की कथा के मुख्य यजमान अखिल बंसल, अशोक बंसल एवं सुधीर बंसल रहे। कथा के आयोजन में पूर्व विधायक राजेश्वर बंसल, विनय बंसल, अनुराग शर्मा, रोबिन गर्ग, प्रदीप मंगल, अंजना बंसल आदि मौजूद रहे।
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