जिले में डेंगू की दस्तक के साथ ही मंकी पॉक्स को लेकर अलर्ट
जिले में डेंगू के मामले सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने मंकीपॉक्स को लेकर अलर्ट जारी कर दिया है। मंकीपॉक्स के मरीजों के लिए जिला अस्पताल में छह बैड आरक्षित किए गए हैं। डेंगू के लिए एंटीलार्वा की...
जिले में जहां डेंगू ने दस्तक दे दी है। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश भर में मंकी पॉक्स को लेकर भी अलर्ट जारी कर दिया है। इससे जिला स्तर पर स्वास्थ्य विभाग दोनों की तैयारियां में लगा है। डेंगू के लिए जहां 25 बैड का वार्ड पहले से आरक्षित किया गया है वहीं मंकीपॉक्स के जिला अस्पताल में छह बैड मंकीपॉक्स के मरीजों के लिए आरक्षित किए गए है। शासन के निर्देश पर सीएमओ ने जिला अस्पताल एवं सीएचसी एवं पीएचसी पर मंकीपॉक्स का अलर्ट जारी कर दिया है। जारी निर्देशों में कहा गया है कि मंकी पॉक्स से पीड़ित अगर कोई व्यक्ति मिलता है तो कोविड की तर्ज पर ही अन्य गतिविधियां चलाई जाए, और रोगी के संपर्क में आए हुए व्यक्तियों की एक पूरी सूची तैयार कर उसको जिला और राज्य स्तरीय सर्विलांस इकाइयों को उपलब्ध कराया जाए, जिससे कि आगे की कार्रवाई तुरंत की जा सके।
चिकित्सको का कहना है कि मंकीपाक्स वायरस एक मानव चेचक के समान एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है। मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय वर्षावन क्षेत्रों में यह रोग में होता है। जिले में मंकीपाक्स का कोई मामला नहीं आया है लेकिन अहतियात के तौमर पर अलर्ट जारी कर दिया गया है। दूसरी और डेंगू जिले में दस्तक दे चुका है। बाबरी में एक महिला को डेंगू की पुष्टि हो चुकी है। इस पर विभाग ने गांव में कीटनाशक दवाइयों का छिडकांव करा दिया है। जिलेभर में डेंगू के लिए एंटीलार्वा की जांच को टीम गठित की गई है।
मंकी पॉक्स के बचाव
यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। ऐसे में लोगों को शारीरिक संपर्क से बचाव रखना चाहिए। संक्रमित व्यक्ति या किसी व्यक्ति में पंकीपाक्स के लक्षण हैं, तो उसे तुरंत डाक्टर से संपर्क करना चाहिए। संक्रमित व्यक्ति को इलाज पूरा होने तक खुद को आइसोलेट रखना चाहिए। मंकीपाक्स वायरस त्वचा, आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। यह संक्रमित जानवर के काटने से, या उसके खून, शरीर के तरल पदार्थ, या फर को छूने से भी हो सकता है।
मंकीपाक्स का लक्षण-
बार-बार तेज बुखार आना, पीठ और मांसपेशियों में दर्द, त्वचा पर दानें और चकते पड़ना, खुजली की समस्या होना, शरीर में सामान्य रूप से सुस्ती आना, मंकीपाक्स वायरस की शुरुआत चेहरे से होती है, संक्रमण आमतौर पर 14 से 21 दिन तक रहता है,चेहरे से लेकर बाजुओं, पैरों और शरीर के अन्य हिस्सों पर रैशेस होना, गला खराब होना और बार-बार खांसी आना।
मंकीपॉक्स का अभी तक कोई इलाज नहीं है। लेकिन चेचक का टीका मंकीपाक्स को रोकने में 85 प्रतिशत प्रभावी साबित हुआ है। इसके लिए अलर्ट जारी कर दिया है। जिले में कोई केस नहीं है लेकिन डेंगू के लिए पहले से ही जिला अस्पताल के अलावा सभी सीएचसी पर आरक्षित बैड वार्ड बनाए गए है। वही मंकीपॅाक्स के लिए भी जिले की सभी सीएचसी व जिला अस्पताल में बैड आरक्षित किए गए है।
सीएमओ- अनिल कुमार
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