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महिलाओं को नहीं अपनाने पड़ेंगे परिवार नियोजन के असुरक्षित तरीके

बिनोवा सेवा आश्रम और सांझा प्रयास नेटवर्क के सहयोग से जनपद में सोमवार को जिला स्तरीय मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन हुआ। इसमें एमटीपी एक्ट 2021...

महिलाओं को नहीं अपनाने पड़ेंगे परिवार नियोजन के असुरक्षित तरीके
हिन्दुस्तान टीम,शाहजहांपुरWed, 25 Jan 2023 01:01 AM
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शाहजहांपुर, संवाददाता।

बिनोवा सेवा आश्रम और सांझा प्रयास नेटवर्क के सहयोग से जनपद में सोमवार को जिला स्तरीय मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन हुआ। इसमें एमटीपी एक्ट 2021 संशोधन पर विस्तार से चर्चा की गई।

रतना शर्मा साझा प्रयास सचिवालय लखनऊ द्वारा बताया गया कि भारत में पहली बार 1971 में गर्भसमापन कानून एमटीपी एक्ट पारित किया गया था। एमटीपी एक्ट 1971 के अनुसार गर्भसमापन 20 सप्ताह तक वैध है, लेकिन वर्ष 2021 में इस एक्ट में संशोधन किया गया, जिसमें गर्भसमापन कि समय सीमा 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह कर दी गई। उन्होंने बताया कि विशेष श्रेणियों की महिलाओं के लिए गर्भसमापन की ऊपरी सीमा 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह तक कर दिया गया है। विशेष परिस्थितियों के बारे में बताते हुए उन्होंने बताया कि पर्याप्त भूर्ण विकृति के मामलों में गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय गर्भसमापन करवाया जा सकता है। यौन उत्पीड़न, दुष्कर्म, नाबालिग या गर्भावस्था के दौरान वैवाहिक स्थिति में बदलाव (विधवा और तलाक), शारीरिक रूप से अक्षम और मानसिक रूप से बीमार महिलाओं को गर्भपात की अनुमति दी गई है। साथ ही उन्होंने बताया कि सहमति से यौन संबंध बनाने वाली 18 साल से कम उम्र की नाबालिग लड़कियां भी 20 से 24 सप्ताह तक गर्भसमापन करा सकती हैं। कार्यशाला में बिनोवा सेवा आश्रम से बिशन कुमार सक्सेना, रिसर्च एंड ट्रेनिंग ऑफिसर कमला सिंह आदि मौजूद रहीं।

जागरूकता की कमी, अधिकार को न जानना कारण

रतना शर्मा ने बताया कि यौन शिक्षा और परिवार नियोजित करने की बात में अभी भी है। असहजता-माहिलाओं और शादीशुदा जोड़ों में कई बार गर्भसमापन के पीछे सबसे बड़ा कारण कम आमदनी है। इस मंहगाई में हर कोई ज़्यादा बच्चें नहीं चाहते है, लेकिन जब कभी अनचाहा गर्भ रुक जाता है तो वे चिकित्सक के पास जाने से कतराते हैं। इसके पीछे कारण सिर्फ जागरूकता की कमी या अपने अधिकारों को सही तरीके से न जानना है।

पुरुषों को इससे ज्यादा मतलब नहीं

रतना शर्मा ने बताया कि गांव में परिवार नियोजन के तरीके भी सिर्फ महिलाएं ही अपनाती हैं। पुरुषों को इससे जयादा मतलब नहीं होता है और जब महिला गर्भवती हो जाती हैं तो भी उन्हें ये नहीं पता कि ये उनका अधिकार है और वो शुरुआती कुछ महीनों में गर्भपात करा देती है, वो अपने किसी रिश्तेदार या जान पहचान वाले से पूछकर दवा खा लेती हैं। कोई जान न पाए के डर से अस्पताल नहीं जाती है। यहां तक कि किसी डाक्टर से सलाह भी नहीं लेतीं।

महिला की जान बचाना हो जाता मुश्किल

उन्होंने बताया कि कई बार महिलाएं मेडिकल स्टोर पर पूछकर कोई भी दवा खा लेती हैं। उन्हें लगता है कि दवा खाने से अनचाहा गर्भ समाप्त हो जाएगा, लेकिन इसके परिणाम घातक होते हैं। कई बार तो महिला की जान बचाना भी मुश्किल हो जाता है।

जानकारी का लोगों में अभाव

एनएफएचएस-5 के अनुसार 47.6 प्रतिशत गर्भपात का कारण अनियोजित गर्भधारण है। 26.2 प्रतिशत गर्भपात घर पर ही किए जाते हैं। एमटीपी एक्ट लागू है, लेकिन गर्भ समापन संबंधी कानूनी जानकारी का लोगों में अभाव है। ऐसे में बहुत ज़रूरी है कि सुरक्षित गर्भसमापन सेवाओं एवं परिवार नियोजन साधनों से संबंधित जानकारी बड़े स्तर पर लोगों तक पहुंचे।

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