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परिवहन निगम को हर रोज 15 लाख रुपये का घाटा

परिवहन निगम हर रोज लाखों रुपये का घाटा सहनकर बसों का संचालन कर रहा।

परिवहन निगम को हर रोज 15 लाख रुपये का घाटा
हिन्दुस्तान टीम,शाहजहांपुरMon, 20 Jul 2020 03:05 AM
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कोरोना वायरस की वजह से रेलवे ने अपनी सीमित गाड़ियों को चला रखा है। वहीं दूसरी तरफ परिवहन निगम हर रोज लाखों रुपये का घाटा सहनकर बसों का संचालन कर रहा। अधिकारियों के मुताबिक, आम दिनों की अपेक्षा 15 लाख रुपये रोज का नुकसान हो रहा। सप्ताह में दो दिन होने वाले लाकडाउन में स्थिति और दयनीय हो जाती है।शाहजहांपुर में परिवहन निगम के बेडे़ में 125 निगम की बसें हैं। 75 अनुबंधित बसों को जोड़कर 200 बसें विभिन्न रूटों पर दौड़ती थी। 35 बसों को लॉग रूट पर चलाया जाता था।

कोरोना वायरस की वजह से हुए लाकडाउन में बसों का संचालन करीब 60 दिनों तक बंद रहा। अनलाक वन में गाड़ियां शुरू हो सकी। कोविड-19 के नियमों के तहत एक सीट पर एक सवारी बैठाने के नियम के साथ गाड़ियों को चलाया गया। परन्तु बसों का खर्चा निकलना दूभर हो गया। बताते हैं कि मुख्यालय से बसों में पर्याप्त सवारी लेकर चलने के निर्देश दिए गए। इसके बाद कोविड-19 के नियमों को तार-तार कर सभी सीटों पर सवारियों को बैठाकर बसें फर्राटा भरने लगे। लेकिन, सवारियों की संख्या कम होने की वजह से बसों का लोड फैक्टर तक नहीं निकल पा रही है।निगम की गाड़ियों के लिए पैसेंजर नहीं जुट रहे हैं। ऐसे में उनका खर्चा निकलना भी मुश्किल हो रहा है। अधिकारी बाते हैं कि पहले आम दिनों में 30 लाख रुपये हर रोज की इनकम बसों से होती थी। अब यह 15 लाख तक काफी खींच के हो पा रही है। निगम हर रोज 15 लाख का नुकसान झेल रहा है।-

-लाकडाउन में पांच लाख कमाना मुश्किल=सप्ताह में दो दिन लगने वाले लाकडाउन में इस बार बसों का संचालन किया गया। हाल यह था कि बसों के लिए सवारियां तक नहीं मिल पा रही थी। जिसके चलते चालकों को सवारियों का काफी इंतजार करना पड़ा। आंकड़े बताते हैं कि 55 घंटे के लाकडाउन की अवधि में एक दिन में पांच लाख तक का आंकड़ा पहुंचना मुश्किल हो गया

-अनुबंधित बसों का संचालन नहीं हो रहा

=शाहजहांपुर में अनलाक होने के बाद भी अनुबंधित बसों का संचालन नहीं हो पा रहा है। अनुबंधित बसें न चलने से गाड़ी मालिक काफी परेशान हैं। गाड़ी का बीमा और टैक्स को लेकर उन्हें चिता सता रही है। अनुबंधित बस ओनर्स एसोसिएशन ने डीएम और कैबिनेट मंत्री को ज्ञापन देकर बसों को सरेंडर कराने की मांग की थी। हालांकि, उनकी समस्या का समाधान नहीं निकल सका है।

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