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कन्या को पुत्री के रूप में पाने के लिए देवताओं भी किया तप

शिव महापुराण कथा के मंच से शुक्रवार को बेटी बचाओ का संदेश दिया गया। कथा वाचक प्रशांत प्रभु ने कहा कि गर्भ में पल रही कन्या के भ्रूण की हत्या करना सबसे बड़ा पाप...

कन्या को पुत्री के रूप में पाने के लिए देवताओं भी किया तप
हिन्दुस्तान टीम,शाहजहांपुरSat, 18 Aug 2018 02:19 PM
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शिव महापुराण कथा के मंच से शुक्रवार को बेटी बचाओ का संदेश दिया गया। कथा वाचक प्रशांत प्रभु ने कहा कि गर्भ में पल रही कन्या के भ्रूण की हत्या करना सबसे बड़ा पाप है।

कन्या को पुत्री के रूप में पाने के लिए बड़े-बड़े राजाओं व देवताओं को भी यज्ञ व तप करना पड़ा था। कन्या साक्षात देवी का स्वरूप होती हैं।

खिरनीबाग रामलीला मैदान में आदर्श विकलांग कल्याण समिति की ओर से शिवमहापुराण कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा के दसवें दिन कथा वाचक प्रशांत प्रभु ने कन्या के महत्व और उसकी जरूरत पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में कन्या को पूजनीय माना गया है।

जन्म जन्मांतर से बडे़-बड़े राजाओं व देवताओं ने कन्या को पुत्री के रूप में पाने के लिए यज्ञ व तप किया। जिसमें राजा जनक ने कन्या के रूप में सीता को पाने के लिए खेत में हल चलाया। पर्वतराज हिमांचल ने भी घोर तप किया और उनके यहां पार्वती ने जन्म लिया। दक्ष प्रजापति की कई पुत्रियां थी, फिर भी कन्या पाने की लालसा में दक्ष ने जप तप किया। जिसके बाद उन्हें माता सती प्राप्त हो सकी।

ऐसे ही तमाम उदाहरण है। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिवेश में मनुष्य बेटी के जन्म पर शोक में डूब जाता है, शोक मनाने लगा है। गर्भ में पलने वाला शिशु भी उस समय इस दुनिया में आने की गुहार लगाता होगा, जब कोई निर्दयी अपनी ही संतान को गर्भ में ही मारता होगा।

उन्होंने कहा कि भ्रूण हत्या सबसे बड़ा पाप है, इससे बचना चाहिए। बेटियां भी घर का चिराग हैं। वे भी एक इंसान हैं, जननी हैं, जो हमारे अस्तित्व का प्रमाण है। इसकी रक्षा करना हमारा कत्र्तव्य है। इस मौके पर हरिशरण बाजपेयी, नीरज बाजपेयी, दीप श्रीवास्तव, नरेंद्र सक्सेना, नंदकिशोर दीक्षित, सुबोध शुक्ला, अशोक गुप्ता पुवायां वाले, विश्वमोहन बाजपेयी आदि मौजूद रहे।

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