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क्लोजिंग डे पर आचार संहिता का दिखा असर, माथापच्ची हुई कम

वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर चुनाव आचार संहिता का असर साफ दिखा। आचार संहिता के चलते वित्तीय स्वीकृतियां नहीं मिलने पर कर्मचारियों पर क्लोजिंग डे का कोई खास असर दिखाई नहीं दिया। रविवार को छुट्टी का दिन...

क्लोजिंग डे पर आचार संहिता का दिखा असर, माथापच्ची हुई कम
हिन्दुस्तान टीम,शाहजहांपुरSun, 31 Mar 2019 11:48 PM
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वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर चुनाव आचार संहिता का असर साफ दिखा। आचार संहिता के चलते वित्तीय स्वीकृतियां नहीं मिलने पर कर्मचारियों पर क्लोजिंग डे का कोई खास असर दिखाई नहीं दिया। रविवार को छुट्टी का दिन होने की वजह से ज्यादातर विभागों ने लेनदेन का काम शनिवार को ही निपटा लिया था।

रविवार को वित्तीय वर्ष का आखिरी दिन था। कलक्ट्रेट स्थित ट्रेजरी ऑफिस में अधिकारी व कर्मचारी सुबह से पहुंच गए। लेकिन विकास भवन स्थित लगभग भी कार्यालयों पर ताला लटका रहा। पिछले सालों में जहां क्लोजिंग डे पर अधिकारियों और कर्मचारियों पर बजट को निपटाने का दवाब रहता था। वह इस बार कहीं भी दिखाई नहीं दिया।

वित्त्तीय वर्ष की समाप्ति वाले दिन ही रविवार की छुट्टी पड़ने पर सभी ने उसका आनंद लिया और परिवार के साथ समय बिताया। वहीं ट्रेजरी में कर्मचारी कुछ विभागों के बिलों का भुगतान कराने के व्यस्त दिखे। लेकिन यहां पर भी फाइलों का बोझ कम ही दिखाई दिया। ट्रेजरी कर्मचारी अमित सिंह ने बताया कि चुनाव आचार संहिता लागू होने के कारण विभागों पर कोई बजट नहीं मिला है।

इसलिए विभागों में कोई अधिक काम नहीं है, जो थोड़ा बहुत लेनदेन बकाया है, उसको भी आरबीआई के निर्देश पर शाम पांच बजे तक निपटा दिया गया। डीपीआरओ कार्यलय के सहायक अमित कुमार ने कहा कि ज्यादातर योजनाएं और विभागीय कार्य आनलाइन होने की वजह से अब फाइलों का बोझ नही रहा।

इसके साथ ही बजट का खर्च और बकाया भी सब आनलाइन रहता है। आचार संहिता लगने के बाद कोई नया काम नहीं हो सकता। सिर्फ पुराने कामों पर बजट को खर्च किया गया है। वहीं एसबीआई, बीओबी समेत सरकारी बैंकों के दरवाजे खुले रहे।

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