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भगवान से प्रेम होना ही भक्ति

हिन्दू सत्संग भवन में श्रीराम कथा के तीसरे दिन व्यास ने भक्ति की परिभाषा बताई। व्यास बृजेश पाठक ने कहा कि भक्ति की कई परिभाषाएं हैं। अधिकतर संतों ने भगवान में ममता को ही भक्ति कहा...

भगवान से प्रेम होना ही भक्ति
हिन्दुस्तान टीम,शाहजहांपुरThu, 25 Oct 2018 01:13 PM
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हिन्दू सत्संग भवन में श्रीराम कथा के तीसरे दिन व्यास ने भक्ति की परिभाषा बताई। व्यास बृजेश पाठक ने कहा कि भक्ति की कई परिभाषाएं हैं। अधिकतर संतों ने भगवान में ममता को ही भक्ति कहा है।

उन्होंने भक्ति व आसक्ति के अंतर को समझाते हुए कहा कि जब संसार में ममता होती है तो वह आसक्ति कहलाती है और जब वही ममता भगवान में होती है तो वह भक्ति हो जाती है। संसार की ममता व्यक्ति को बांधती है और प्रभु से ममता दो काम करती है, एक तरफ यह व्यक्ति को मुक्त करती है, दूसरी और भगवान को बांधती है। जब भगवान किसी जीव के बंधन में आते है तब जीव के बंधन खुल जाते हैं यही भक्ति का प्रभाव है। उन्होंने राजा बली व वामन भगवान का उदाहरण भी दिया। इस मौके पर मुख्य यजमान पराग अग्रवाल, राजीव अग्रवाल, अनिल अग्रवाल, मोहित गुप्ता, हरिओम गुप्ता, गोपाल शर्मा, रतन गोयल, विनय चढ्ढा, हरिनिवास अग्रवाल आदि मौजूद रहे।

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