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सत्कर्म भारतीय संस्कृति का स्वभाव : विजयदेव

आर्य समाज व स्त्री समाज के तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव का रविवार को समापन हो गया। अंतिम दिन वैदिक यज्ञ, प्रवचन व भजनोपदेश हुआ। इस दौरान भारतीय संस्कृति से जुड़े रहने का आवाहन किया...

सत्कर्म भारतीय संस्कृति का स्वभाव : विजयदेव
हिन्दुस्तान टीम,शाहजहांपुरMon, 04 Dec 2017 12:05 AM
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आर्य समाज व स्त्री समाज के तीन दिवसीय वार्षिकोत्सव का रविवार को समापन हो गया। अंतिम दिन वैदिक यज्ञ, प्रवचन व भजनोपदेश हुआ। इस दौरान भारतीय संस्कृति से जुड़े रहने का आवाहन किया गया। रविवार को आर्य महिला डिग्री कालेज में वार्षिकोत्सव के अंतिम दिन वैदिक यज्ञ का हुआ। जिसमें आर्य समाजियों ने आहुतियां डाली और विश्व शांति के लिए प्रार्थना की गई। इसके बाद प्रवचन में स्वामी विजय देव नैष्ठिक ने कहा कि कलयुग में भगवत भजन नाम की महिमा है। इस नाम को जपते हुए मृत्युलोक को छोड़ने पापी भी पुण्य लोक को जाते हैं।

उन्होंने कहा कि कलयुग में शरीर और मन के मैलों से लिपटे मनुष्य के लिए हरिनाम का अमृत के समान है। सत्कर्म ही हमारे साथ जाएगा। यहीं भारतीय संस्कृति का स्वभाव भी है। जिससे हमेशा जुड़े रहना जरूरी है। मधुबनी बिहार से आए भजनोपदेशक शिवनारायण आर्य व संतकुमार आर्य ने भजनों के माध्यम से धार्मिक, नैतिक व कर्तव्यनिष्ठा का बयान किया। इस बीच संगीत विभाग प्रवक्ता डा. नमिता किशोर, मिनाक्षी व छात्राओं को प्रबंध समिति की ओर से सम्मानित किया गया। इस मौके पर प्रबंधक अमितेश अमित, प्राचार्या डा. कनकरानी, रामआसरे मिश्रा, शरद वाजपेई, हृदय नारायण मिश्रा, रामनिवास अग्निहोत्री, हरप्रसाद पांडेय, अखिलेश तिवारी, रमेश शंकर पांडेय, मंजू अग्निहोत्री, राजेश शुक्ला आदि मौजूद रहे।

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