शाहजहांपुर डिपो ने लाकडाउन के बाद बसों का संचालन शुरू होने पर यात्रियों को कोरोना से बचाव के लिए जितनी सावधानी को बरता था। उसकी 20 प्रतिशत भी तेजी दिखाई नहीं दे रही है। रोडवेज बस अड्डे पर बनी हेल्प डेस्क पर सेनेटाइजर की बोतल चार दिन पहले जितनी भरी थी। उतनी ही अब भी है। थर्मल स्क्रीनिंग करने में लापरवाही बरती जा रही। आधार कार्ड के बिना भी सफर की इजाजत दी जा रही है।
सोमवार को रोडवेज बस अड्डे की स्थिति का जायजा लेने पहुंचे तो सारे दावों की पोल खुलकर सामने आ गई। दोपहर साढ़े 12 बजे पूछताछ केबिन में सन्नाटा था। कर्मचारी बाहर मेज पर बैठकर आराम कर रहे थे। कोई कर्मचारी मास्क नहीं लगाए था। कुछ कदम पर डिपो प्रभारी एसके निगम का कार्यालय है। अंदर पांच लोग थे। डिपो प्रभारी खुद ही मास्क नहीं लगाए थे। तीन अन्य पुरुषों के चेहरे पर भी मास्क नहीं था। दो महिलाओं में एक अपने चेहरे को दुपट्टे के माध्यम से कवर कर बचाव करती दिखी।
डिपो प्रभारी के कार्यालय के सामने ही हेल्प डेस्क बना रखी है। यहां पर दो कर्मचारियों की ड्यूटी लगी है। यह हर आने वाले यात्री की थर्मल स्क्रीनिंग करते हैं। उनका नाम, आधार नंबर और मोबाइल नंबर भी दर्ज करने की जिम्मेदारी निभाते हैं। इस बीच महिला परिवार के साथ आई। उनकी थर्मल स्क्रीनिंग करने के लिए कर्मचारी ने कुर्सी से उठे बिना ही बैठे-बैठे ही काम कर लिया। आधार नंबर मांगा तो महिला ने हाथ खड़े कर दिए। मोबाइल भी उसके पास नहीं था। जिसके बाद उसे सफर करने की इजाजत दे दी गई। दिलचस्प बात यह है कि जिस सेनेटाइजर की बोतल को आम यात्रियों के लिए रखा जाना चाहिए था। वह कर्मचारियों ने अपने पास रखी है। उसका प्रयोग यात्रियों के हाथ सेनेटाइज कराने के लिए नहीं किया जा रहा।
पहले यह थी व्यवस्था
लाकडाउन के बाद बसों का संचालन शुरू होने के बाद हर यात्री के हाथ सेनेटाइज कराने का इंतजाम किया गया था। आधार कार्ड के बिना सफर की इजाजत नहीं थी। यात्रियों के बीच सोशल डिस्टेसिंग को दुरूस्त करने के लिए एक सीट पर एक यात्री को बैठाया जाता है। परन्तु, अब बसों में सामाजिक दूरी की धज्जियां उड़ रही हैं।
डिपो प्रभारी एसके निगम ने बताया कि हाथों को सेनेटाइज कराने के लिए सेनेटाइजर का इंतजाम किया गया। यदि किसी को सेनेटाइजर नहीं दिया जा रहा। उसके बारे में सख्ती से दिशा-निर्देश दिए जाएंगे। आधार कार्ड के बिना सफर की इजाजत देने की पड़ताल होगी।