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मुकाबला कव्वाली से लोगों ने मुंह मोड़ा

मेरे पीर की गुलामी मेरे काम आ गई...जैसी कव्वाली गाकर हिट होने वाले फहीम वारसी व गुलाम वारिस कव्वाल शुक्रवार रात शाहजहांपुर में थे। पीली मस्जिद स्थित दरगाह पर उर्स में कव्वाली गाने आए कव्वालों ने कहा...

 मुकाबला कव्वाली से लोगों ने मुंह मोड़ा
हिन्दुस्तान टीम,शाहजहांपुरSun, 02 Sep 2018 11:49 PM
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मेरे पीर की गुलामी मेरे काम आ गई...जैसी कव्वाली गाकर हिट होने वाले फहीम वारसी व गुलाम वारिस कव्वाल शुक्रवार रात शाहजहांपुर में थे। पीली मस्जिद स्थित दरगाह पर उर्स में कव्वाली गाने आए कव्वालों ने कहा कि कव्वाली से रूह को सुकून हासिल होता है। कव्वाली फकीरों की गिजा है। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेरी की देन कव्वाली है। कव्वाली सुनने से रूह को ताजगी मिलती है।

उर्स में महफिल-ए-समा से पहले कव्वालों ने हिन्दुस्तान से बातचीत की। अमरोहा जिले के हसनपुर के रहने वाले फहीम-गुलाम वारसी कव्वाल ने बताया कि पिछले कुछ सालों में कव्वाली का रंगबदल गया था। लोगों का रुझान मुकाबला कव्वाली की तरफ हो गया था। लेकिन, सूफियाना कव्वाली की तरफ लोग फिर मुखातिब हो रहे हैं। सूफियाना कलाम लोग पसंद करते हैं।

शाहजहांपुर में पहली बार आए फहीम-गुलाम वारिस कव्वाल को कव्वाली का शौक से थे। उनके वालिद सगीर अहमद अपनी जिंदगी तक कव्वाली गाते रहे और सूफियाना कव्वाली में एक जगह बनाई। बोले-वलियों का करम है कि यूपी के अलावा दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, साउथ अफ्रीका में जाकर सूफियाना कलाम गाने का मौका मिला है।

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