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कटरी की रेतीली जमीन पर लहराएंगे अफीम की खेती

कटरी की रेतीली जमीन, जहां पर कल्लू यादव, बड़े लल्ला और रानी ठाकुर जैसे डकैतों ने जन्म लिया। वहां एक बार फिर से अफीम की फसल लगहराएगी। करीब दस साल के बाद फिर से अफीम काश्तकारों पर सरकार मेहरबान हुई है।...

कटरी की रेतीली जमीन पर लहराएंगे अफीम की खेती
हिन्दुस्तान टीम,शाहजहांपुरMon, 29 Oct 2018 01:07 AM
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कटरी की रेतीली जमीन, जहां पर कल्लू यादव, बड़े लल्ला और रानी ठाकुर जैसे डकैतों ने जन्म लिया। वहां एक बार फिर से अफीम की फसल लगहराएगी। करीब दस साल के बाद फिर से अफीम काश्तकारों पर सरकार मेहरबान हुई है। इन किसानों के लाइसेंस रिन्यूवल की प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया। अफीम की खेती मिलने से क्षेत्रीय किसान आर्थिक रूप से मजबूत होंगे।

मिर्जापुर इलाके में काफी समय पहले अफीम की बड़े पैमाने पर खेती होती थी। तब भी अपराध का कटरी इलाके में बोलबाला था। लगातार बढ़ रहे जरायम को देखते हुए अफीम का दुरूपयोग होने लगा। युवा भी नशे की लत में पड़कर गलत रास्ते पर चल निकले थे। तब लाइसेंसों में कटौती करते हुए कुछ सीमित गांवों तक खेती को शुरू कराया गया। लेकिन, एक बार फिर से कटरी के किसानों को लाइसेंस देने की प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया।

पुराने अफीम काश्तकारों के लाइसेंस रिन्यूवल करने की प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया है। अफीम की खेती होने से क्षेत्रीय किसान आर्थिक रूप से मजबूत होंगे। कुनिया निवासी महाराम, महेश सिंह, भरतापुर निवासी हरिपाल वर्मा की मानें तो लाईसेंस रिन्यूवल की कार्रवाई शुरू हो गई है। सभी जरूरी दस्तावेज समेत किसानो को रविवार को बरेली अफीम कार्यालय बुलाया गया था। वहां अफीम के लिए पट्टा वितरण की प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई है।

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पहले इन गांवों में होती थी खेती

-क्षेत्र के कुनिया शाह नजीरपुर, भरतापुर,चिकटिया, चौराबगरखेत, हबीबुल्लापुर उर्फ अमृतापुर, गुलड़िया, आलमगंज , अटा, माधौपुर, छत्तरपुर समेत कई गांवों में एक ङेढ़ दशक पहले जमकर अफीम की खेती होती थी। बाद में इसे कुछ गांवों में सीमित कर दिया गया। पिछले साल गिने-चुने किसानों को इसका लाइसेंस दिया गया।

पौधे की हर चीज का मिलता मोटा दाम: =अफीम का पौधा बड़ा होने पर उसके ऊपर सफेद रंग का फूल आता है। उस फूल को शाम में चीरा लगा दिया जाता है। फूल से निकलने वाले दूध को सवेरे में पोछकर एक मिट्टी की हांडी में रख देते हैं। यही अफीम होती है। इस अफीम को बरेली स्थित कार्यालय में ले जाकर जमा किया जाता है।

कपड़े और हांडी के भी मिलते रुपये: जिन कपड़ों को पहनकर अफीम की निकाला जाता है, वह भी काफी महंगे दामों पर बिकते हैं। बताया जाता है कि इन्हें धोकर नशेड़ी पी जाते हैं। वहीं अफीम रखने वाली हांडी में भी मुंहमांगे दामों पर बेची जाती है।

दवा में प्रयोग होती है अफीम:अफीम का प्रयोग दवाओं में किया जाता है। अफीम का प्रयोग कर दर्द निवारक दवाएं बनाई जाती हैं। किसान बताते हैं कि अधिकारी अफीम की खेती का एवरेज तैयार करते हैं। एवरेज के अनुसार खेती न होने पर लाइसेंस को निलंबित कर दिया जाता है।

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