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मोबाइल पर पुराना साफ्टवेयर दे रहा धोखा, जियो टैगिंग होना मुश्किल

15 अगस्त 2018 को कराए गए पौधारोपण की जियो टैगिंग पूरी नहीं हो सकी है। जियो टैगिंग का बोझ कम करने के लिए गुरुजन तैयार हैं, लेकिन वन विभाग का पुराना साफ्टवेयर नए मोबाइल पर काम नहीं कर रहा है। ऐसे में...

मोबाइल पर पुराना साफ्टवेयर दे रहा धोखा, जियो टैगिंग होना मुश्किल
हिन्दुस्तान टीम,शाहजहांपुरSun, 19 May 2019 01:07 AM
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15 अगस्त 2018 को कराए गए पौधारोपण की जियो टैगिंग पूरी नहीं हो सकी है। जियो टैगिंग का बोझ कम करने के लिए गुरुजन तैयार हैं, लेकिन वन विभाग का पुराना साफ्टवेयर नए मोबाइल पर काम नहीं कर रहा है। ऐसे में शिक्षक काफी टेंशन में आ गए हैं।

वहीं दूसरी तरफ शिक्षा विभाग ने 20 मई तक जियो टैगिंग का काम पूरा करने का फरमान सुनाकर हड़कंप मचा दिया है। पिछले साल 15 अगस्त को बड़े पैमाने पर पौधारोपण किया गया था। उस पौधारोपण की जियो टैगिग भी होना था। उसके लिए वन विभाग ने मॉस मेलो साफ्टवेयर विकसित किया था। तब के मोबाइल में यह साफ्टवेयर खूब चला। लेकिन, उसके बाद आए मोबाइलों में यह साफ्टवेयर नहीं चल सका।

मोबाइल कारोबारी संजय अग्रवाल की मानें तो साफ्टवेयर अपडेट न होने के कारण नए मोबाइलों में यह चलना मुश्किल नहीं हो पा रहा है।वहीं दूसरी तरफ डीएम ने बैठक में 923 के सापेक्ष मात्र दो स्थलों में जियो टैगिंग कराए जाने की सूचना पर नाराजगी जताई। जिसके बाद बीएसए राकेश कुमार ने संज्ञान लिया। उन्होंने खंड शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजा है। कहा है कि शत-प्रतिशत जियो टैगिंग के लिए एप आया है। इसलिए 20 मई को दोपहर 12 बजे तक काम को पूरा करना है।

शिक्षकों को यह करना होगा

सभी परिषदीय विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों व सहायक शिक्षकों को न्यूनतम एक फोटोग्राफ के साथ पौधारोपण स्थलों पर जियो टैगिग कराना है। प्रमाण पत्र समेत बीएसए कार्यालय में देना है। जिससे मुख्यमंत्री की बैठक में विभाग की स्थिति संतोषजनक बन सके।

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