प्रवासियों को मिला जॉबकार्ड, पाट डाले पांच हजार चक रोड
-दूसरे राज्यों से लौटे मजदूरों को मनरेगा के तहत मिला रोजगार
गांव की माटी एक बार फिर से मजदूरों के पेट भरने का जरिया बनी है। जिस मनरेगा के काम को छोड़कर मजदूरों ने परदेस की राह पकड़ी थी। उसी ने एक बार फिर से रोजगार का साधन दिया है। शाहजहांपुर में दूसरे राज्यों से लौटने वाले 6566 मजदूरों को मनरेगा के तहत काम मिला है। पर्याप्त मजदूर मिलने से जिले के करीब पांच हजार चकरोड को पाट दिया गया।
ग्रामीण इलाकों के लोगों को शहरों में मेहनत-मजदूरी करने नहीं जाना पड़े। उन्हें गांव में ही रोजगार मुहैया कराने के लिए मनरेगा योजना को शुरू किया गया था। मनरेगा में चकरोड को पाटने, तालाब और ड्रेनेज सिस्टम का बनाने काम ग्राम पंचायत स्तर पर कराया जाता था। मात्र 201 रुपये में पूरे दिन फावड़ा चलाने को मजदूर तैयार नहीं होते थे। लिहाजा, आर्थिक हालात को ठीक करने के िलए दूसरे राज्यों का रुख कर लिया। खुद जाने के साथ परिवार को भी वहीं पर काम दिलाकर गुजर-बसर करने लगे। लाकडाउन ने उनका गणित बिगाड़ा तो उन्हें एक बार फिर से अपने गांव में वापस आना पड़ा। घर लौटने वाले मजदूरों के लिए फिर से मनरेगा जीवन की गाड़ी खींचने वाली योजना बनकर सामने खड़ी हुई। लाकडाउन में आए मजदूरों में 8047 को फावड़ा चलाने के लिए चिन्हित किया। इसमें 6566 मजदूरों को नया जॉब कार्ड देकर रोजगार दिया गया। विभिन्न ग्राम पंचायतों में मजदूरों से मनरेगा के तहत काम कराया जा रहा। अधिकारियों का दावा है कि नए आने वाले मजदूरों से संपर्क किया जा रहा। उन्हें भी जॉब कार्ड देकर रोजगार देने का काम होगा।
भरपूर मजदूर मिलने से पट गए पांच हजार चकरोड
मार्च महीने में गेहूं का कटान होने के बाद अधिकारियों को सारे खेत खुले मिल गए। ऐसे समय में दूसरे राज्यों से आई लेबरों ने प्रशासन का काम आसान कर दिया। भरपूर मजदूर मिलने के बाद चकरोड पाटने के काम में लगा दिया। अधिकारियों का दावा है कि करीब पांच हजार चकरोड को पाट दिया गया है।
कंट्रोल रूम स्थापित, सुन रहे समस्याएं
विकास भवन के सभागार में मनरेगा सेल ने मजदूरों की समस्याओं को लेकर कंट्रोल रूम स्थापित कर दिया। कंट्रोल रूम का नंबर 05842-297370 है। इस पर मजदूर अपने जॉब कार्ड बनवाने के लिए संपर्क कर रहे हैं। जिसके बाद उनका नाम और पता नोट कर जॉब कार्ड बनाकर रोजगार दिया जा रहा।
1077 ग्राम पंचायतें शाहजहांपुर में हैं।
879 ग्राम पंचायतों में लौटे हैं प्रवासी मजदूर।
8047 फावड़ा चलाने वाले मजदूर किए थे चिन्हित
6566 मजदूरों का नया जॉब कार्ड बनाया गया था।